पटना : बिहार के बच्चे देश से लेकर विदेशों तक अपने हुनर का लोहा मनवा रहे हैं। बिहार की बेटी ईशा ने अमेरिका में देश और प्रदेश का परचम लहराया है। न्यू मैक्सिको सिटी (अमेरिका) के एलबर्क शहर में ईशा ठाकुर ने दसवीं में सबसे ज़्यादा नंबर हासिल किया है। दसवीं की परीक्षा में सबसे ज़्यादा नंबर लाने पर उसे गोल्ड मेडल से नवाजा गया है। अमेरिकि छात्रों को पीछे छोड़ते हुए अव्वल आने पर अमेरिकी सरकार की तरफ़ से उसे नेशनल सोसाइटी का मेम्बर भी बनाया गया।
अमेरिका में अपने हुनर का परचम लहराने वाली ईशा ठाकुर का ताल्लुक बिहार के दरभंगा ज़िले से है। रतनपुर की रहने वाली ईशा को अमेरिकि सरकार की तरफ से स्कॉलरशिप भी दिया जाएगा। इशा को अमेरिका में सम्मानित किए जाने पर उसके गांल में जश्न का माहौल है। वही इशा के गांव वालों का कहना है कि इशा ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश, राज्य और जिला का नाम रोशन किया है। ईशा को मिथिला समाज, मैथिली भाषा और रीति-रिवाजों की काफी अच्छी जानकारी है।
ग्रामीणों ने बताया कि ईशा परिवार के साथ न्यूयॉर्क शहर में ही रहती है। ईशा ठाकुर के पिता सुजय ठाकुर बतौर कैमिकल इंजीनियर अमेरिका में काम करते हैं। इसके साथ ही ईशा की मां उषा ठाकुर रियल स्टेट का बिजनेस करती हैं। इन सबके अलावा उनके दादा महेश्वर ठाकुर माइनिंग इंजीनियर के पद पर अमेरिका में काम कर रहे थे जोकि रिटायर हो चुके हैं। ग्रामीणों ने कहा कि ईशा की कामयाबी से पूरे देश को गर्व है, बिहार छात्रों को हुनर दिखाने का मौक़ा दिया जाए तो वह विश्व भर में नाम कमा सकता है।
पटना जिले के गोनपुरा गांव (फुलवारीशरीफ) के रहने ग़रीब मजदूर के बेटे को अमेरिका में पढ़ने के लिए फ़ेलोशिप मिली थी। भारत से 6 नाम इस स्कॉलरशिप के लिए भेजे गए थे, जिसमें बिहार के बेटे प्रेम कुमार को अमेरिका के प्रतिष्ठित लाफायेट कॉलेज की तरफ़ से ढाई करोड़ रुपये की फेलोशिप दी गई । महादलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 17 वर्षीय छात्र प्रेम कुमार को अमेरिका के कॉलेज से फ़ेलोशिफ मिलने से पूरा समाज गर्व महसबस कर रहा है।
प्रेम कुमार अमेरिता में मैकेनिकल इंजीनियरिंग और अंतर्राष्ट्रीय संबंध की पढ़ाई कर रहे हैं। आपको बता दें कि लाफायेट कॉलेज की स्थापना 1826 ई. में हुई थी। अमेरिका के कॉलेज की तरफ़ से प्रेम कुमार को 2.5 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली है। इसके तहत लाफायेट कॉलेज में प्रेम कुमार की 4 सालों की शिक्षा में आने वाले सभी खर्च स्कॉलरशिप के ज़रिए वहन की जा रही। इसमें ट्यूशन, , किताबें, रहने, स्वास्थ्य बीमा, यात्रा का खर्च आदि सबकुछ शामिल है। प्रेम कुमार ने खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि डेक्सटेरिट ग्लोबल की वजह से मुझे यह मौक़ा मिल पाया है।