बिल्कीस बानो मामला: SC ने पूछा कि क्या 11 दोषियों को छूट देते समय समान मानक लागू किए गए
नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिल्कीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या को ‘‘भयावह” कृत्य करार देते हुए सोमवार को गुजरात सरकार से पूछा कि क्या मामले में 11 दोषियों को छूट देते समय हत्या के अन्य मामलों में अपनाए गए समान मानक लागू किए गए।
शीर्ष अदालत ने साथ ही स्पष्ट किया कि वह मामले में भावनाओं से प्रभावित नहीं होगी और केवल कानून को देखेगी। इसने गुजरात सरकार को सुनवाई की अगली तारीख 18 अप्रैल को सभी प्रासंगिक दस्तावेज पेश करने का भी निर्देश दिया। बिल्कीस बानो ने दोषियों को समय-पूर्व रिहा किए जाने के फैसले को चुनौती दी है। गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। बानो ने इस मामले में दोषी ठहराए गए 11 अपराधियों की बाकी सजा माफ करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्न की पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख मुकर्रर करते हुए कहा कि इसमें कई मुद्दे समाहित हैं और इस मामले को विस्तार से सुनने की आवश्यकता है। शीर्ष अदालत ने केंद्र, गुजरात सरकार और दोषियों को नोटिस जारी किए। पीठ ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई के दौरान दोषियों की शेष सजा माफ किए जाने के फैसले के संबंध में प्रासंगिक फाइल के साथ मौजूद रहे। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस मामले में भावनाओं के साथ सुनवाई के बजाय कानून के विभिन्न पहलुओं पर विचार करेगा।
गौरतलब है कि चार जनवरी को न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ के समक्ष यह मामला आया था, लेकिन न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने बिना कोई कारण बताए मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने सजा में छूट दी थी और उन्हें पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया था। बानो ने अपनी लंबित रिट याचिका में कहा है कि राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून की पूरी तरह से अनदेखी करते हुए एक ‘‘यांत्रिक आदेश” पारित किया।
घटना के वक्त बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती भी थीं। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गयी थी, जिनमें तीन साल की एक बच्ची भी शामिल थी।