BJP के वो फायरब्रांड चेहरे जो 92 में बाबरी विध्वंस के नायक थे
अयोध्या के राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद ने भारतीय राजनीति की दशा और दिशा को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया है. 6 दिसंबर, 1992 को राम मंदिर के निर्माण के लिए देश भर से कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे और बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया था. बाबरी विध्वंस को आज 26 साल पूरे हो गए.
राम मंदिर आंदोलन से बीजेपी को एक अलग चमक भी मिली थी. इस आंदोलन का ही नतीजा था कि 1989 के लोकसभा के चुनाव में 9 साल पुरानी बीजेपी 2 सीटों से बढ़कर 85 पर पहुंच गई थी. लेकिन बीजेपी के वो चेहरे जिन्होंने इस आंदोलन को धार दी थी और वे 1992 में बाबरी विध्वंस में पार्टी के लिए नायक बने थे, उनमें से ज्यादातर चेहरे आज नेपथ्य में हैं.
बाबरी विध्वंस के आरोपी
इस आंदोलन को धार देने वाले बीजेपी के प्रमुख चेहरों में लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और राम विलास वेदांती के नाम आते हैं. बीजेपी ने 1989 के पालमपुर अधिवेशन में राम मंदिर आंदोलन को चलाने का फैसला किया था.
वीएचपी के अशोक सिंघल, साध्वी रितंभरा, आचार्य धर्मेंद्र, बीएल शर्मा गिरिराज किशोर और विष्णु हरि डालमिया. इनमें से अशोक सिंघल और गिरिराज किशोर अब इस दुनिया में नहीं हैं. मोरेश्वर सावे, चंपत राय बंसल, सतीश प्रधान, महंत अवैद्यनाथ, धर्मदास, महंत नृत्य गोपाल दास, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि, रामविलास वेदांती, वैकुंठ लाल शर्मा प्रेम, परमहंस रामचंद्र दास और सतीश चंद्र नागर शामिल रहे.
आडवाणी सबसे बड़ा चेहरा
राम मंदिर के पक्ष देश में माहौल बनाने के लिए आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ यात्रा निकाली. इसी यात्रा से अयोध्या आंदोलन को धार मिली थी. देश के कई शहरों और गांवों से लोग अयोध्या में कारसेवा करने के लिए पहुंच रहे थे. अयोध्या समेत देश के कई हिस्सों में ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा गूंज रहा था.
आडवाणी अयोध्या आंदोलन से बीजेपी के सबसे बड़े हिंदुत्व का चेहरा बन गए थे. बाबरी विध्वंस के दौरान आडवणी अयोध्या में मौजूद थे. बाबरी विध्वंस के लिए वे षड्यंत्र के आरोपी हैं और मामला कोर्ट में हैं. लालकृष्ण आडवाणी की बीजेपी देश की सत्ता में है, लेकिन आज वे बीजेपी मार्गदर्शक मंडल में हैं.
कल्याण ने मंदिर के नाम सरकार को किया था कुर्बान
आडवाणी के बाद अयोध्या आंदोलन के दूसरे सबसे बड़ा चेहरे के तौर पर कल्याण सिंह का नाम आता है. दरअसल, 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी विध्वंस को समय कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे. जबकि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर कहा था कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में, वह मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देंगे. इसके बावजूद कारसेवक मस्जिद तोड़ रहे थे और प्रशासन मूकदर्शक बन तमाशा देख रहा था. दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की कल्याण सरकार को बर्खास्त कर दिया.
कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि ये सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ. ऐसे में सरकार राम मंदिर के नाम पर कुर्बान. अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न करने के लिए कल्याण सिंह को एक दिन की सजा भी मिली. कभी बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे कल्याण सिंह मौजूदा समय में राजस्थान के राज्यपाल हैं.
बीजेपी नेता के तौर पर मुरली मनोहर जोशी ने राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे थे. बाबरी विध्वंस के दौरान जोशी भी अयोध्या में मौजूद थे. अयोध्या मामले में वो आरोपी हैं. हालांकि, मुरली मनोहर जोशी मौजूदा समय में महज लोकसभा सांसद हैं, लेकिन मोदी सरकार में कोई खास भूमिका नहीं है. आडवाणी की तरह वे भी बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं.
अयोध्या से उमा को मिली पहचान
उमा भारती को राजनीतिक पहचान अयोध्या आंदोलन से मिली. बाबरी विध्वंस के दौरान उमा भारती अयोध्या में मौजूद रही और उन्हें भी इस मामले में आरोपी हैं. हिंदुत्व की चेहरा और फायर बिग्रेड नेता के तौर पर उनकी पहचान बन चुकी थी. बीजेपी नेताओं में उनकी तूती बोलती थी, मौजूदा समय में मोदी सरकार में मंत्री हैं लेकिन भविष्य में लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया है.
कटियार राम मंदिर के फायर बिग्रेड चेहरा
राम मंदिर आदोलन को लेकर विनय कटियार के तेवर शुरू से सख्त थे और आज भी वैसा ही है. कटियार कट्टर हिंदुत्व के चेहरा माने जाते थे. बाबरी विध्वंस के दौरान विनय कटियार अयोध्या में मौजूद थे और वो इस मामले में आरोपी हैं. कारसेवकों को बाबरी मस्जिद तोड़ने के लिए उकसाने का आरोप कटियार पर लगा है. वो मौजूदा समय में बीजेपी के महज सदस्य हैं और न पार्टी में उनकी भूमिका है और न ही सरकार में.
अयोध्या का साधू बन गया सासंद
अयोध्या आंदोलन के चेहरे के तौर राम विलास वेदांती का नाम भी आता है. अयोध्या के बड़े साधुओं में नाम आता है. राम मंदिर आदोलन ने वेदांती को राजनीतिक पहचान दी और वो बीजेपी सांसद बने थे. मौजूदा समय में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे है, लेकिन बीजेपी और सरकार में हाशिये पर हैं.
इसके अलावा बाबरी विध्वंस के दौरान राजमाता विजयराजे सिंधिया भी अयोध्या में मौजूद थीं, लेकिन उनका निधन हो चुका है. इसके अलावा स्वामी चिन्मयानंद भी अयोध्या आंदोलन के बड़े चेहरे थे, लेकिन मौजूदा समय में बीजेपी और सराकर- दोनों में कोई भूमिका नहीं है.