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भाजपा प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल ने 81 हजार वोटों से जीती खंडवा लोकसभा सीट

खंडवा: खंडवा लोकसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल ने कांग्रेस के राजनारायण सिंह पुरनी को 81 हजार मतों से हरा दिया। भाजपा प्रत्याशी मतगणना के दौरान यहां लगातार बढ़त बनाए हुए थे। ज्ञानेश्वर पाटिल की जीत की घोषणा होते ही भाजपा नेताओं ने जगह-जगह जश्न मनाया। 21वें राउंड में 42 हजार से ज्यादा मतों की निर्णायक बढ़त से भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में उत्साह छा गया था। भाजपा प्रत्याशी खंडवा में मतगणना स्थल पर पहुंचने से पहले दादाजी दरबार पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया। जब वे मतगणना स्थल पर पहुंचे, तो ढोल ढमाकों के साथ उनका स्वागत किया गया।

जीत की घोषणा से पहले भाजपा प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल पहुंचे दादाजी धाम

मतगणना के रुझान और परिणामों से भाजपा खेमे में उत्साह है। भाजपा प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल मतगणना केंद्र पहुंचने के पूर्व खंडवा के दादाजी धाम पहुंचकर याचना की और धुनी माई में हवन किया। इस दौरान बुरहानपुर की पूर्व विधायक अर्चना चिटनिस और भाजपा नेता उनके साथ थे।

भाजपा ने एक बार फिर राजनीति में नया ट्रेंड सेट किया है। नंदकुमार सिंह चौहान यानी नंदू भैया चौहान के निधन के बाद सिम्पैथी की लहर पर भाजपा सवार नहीं हुई। उसने महंगाई जैसे मुद्दे के बावजूद जोखिम लेते हुए नया उम्मीदवार उतारा। अपने बूथ मैनेजमेंट के दम पर जीत भी हासिल की।

नंदू भैया के करीबी होने का लाभ मिला
यह राजनीतिक विरासत वैसे तो नंदू भैया के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान को मिलने वाली थी, लेकिन जातिगत समीकरण, गुटबाजी की आशंका सहित अन्य कारणों के चलते ऐन वक्त पर भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवार बदल दिया। नंदू भैया के ही करीबी होने पर पाटिल को इसका लाभ मिला। एक बार खुद और एक बार पत्नी के जिला पंचायत अध्यक्ष रहने पर दोनों जिलों में यह लोगों के लिए नया नाम भी नहीं था।

जिला पंचायत अध्यक्ष रहने का फायदा मिला
जब पाटिल खंडवा जिला पंचायत अध्यक्ष थे, तब खंडवा व बुरहानपुर एक ही जिला था। बाद में जब उनकी पत्नी जयश्री पाटिल बुरहानपुर जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। तब बुरहानपुर जिला बन गया था। इस चुनाव में उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष रहने का फायदा भी मिला।

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