कर्नाटक में फिर येदियुरप्पा का चेहरा बनाएगी भाजपा, मोदी-शाह के बाद योगी की डिमांड
नई दिल्ली : कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए अभी से राजनीतिक पार्टियों ने अपनी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। जिसमें भाजपा सबसे आगे है। कर्नाटक के राजनीतिक व सामाजिक समीकरणों के पेच में उलझी राजनीति को देखते हुए भाजपा विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को अपने अभियान का चेहरा बनाएगी। येदियुरप्पा राज्य के न केवल सबसे वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं, बल्कि सबसे प्रभावी लिंगायत समुदाय के प्रतिष्ठित नेता भी हैं। मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को भी येदियुरप्पा का समर्थन हासिल है।
कर्नाटक की त्रिकोणीय राजनीति में सामाजिक समीकरण हावी रहते हैं। राज्य में लिंगायत और वोक्कालिगा राजनीतिक रूप से काफी प्रभावी हैं। लिंगायत समुदाय से आने वाले बी एस येदियुरप्पा इस समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं और लिंगायत मठों में उनका बहुत सम्मान भी है। राज्य में येदियुरप्पा की ताकत में इसका बड़ा योगदान है। दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा सबसे प्रभावी वोक्कालिगा नेता हैं और इस समुदाय का अधिकांश समर्थन उनके साथ रहता है।
भाजपा ने राज्य के सामाजिक समीकरणों को देखते हुए येदियुरप्पा के चेहरे को आगे रखकर चुनाव अभियान चलाने का फैसला किया है। चुनाव प्रचार सामग्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ येदियुरप्पा के चेहरे को प्रमुखता से रखा जाएगा। यह दोनों नेता भाजपा के अभियान के ट्रम्प कार्ड होंगे। हालांकि येदियुरप्पा चुनावी राजनीति से दूर हो चुके हैं और वह न तो चुनाव लड़ेंगे और न ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे। ऐसे में मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का नाम ही आगे रहेगा, भले ही उनके नाम को बतौर भावी मुख्यमंत्री पेश न किया जाए।
कर्नाटक में भाजपा के अभियान शुरू हो चुका है और अब केंद्रीय नेताओं के दौरों को तेजी से बढ़ाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद सबसे ज्यादा मांग योगी आदित्यनाथ की है। राज्य की लगभग पचास सीटें ऐसी हैं, जो सामाजिक ध्रुवीकरण से प्रभावित रहती हैं। ऐसे में योगी के दौरे से भाजपा उन पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेगी। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा पहले से ही लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं।
विदित हो कि बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा को 104, कांग्रेस को 78 व जद एस को 37 सीटें मिली थीं। राज्य के सामाजिक समीकरणों में 17 फीसदी लिंगायत के बाद वोक्कालिगा 16 फीसदी, कुर्वा सात फीसदी, दलित 20 फीसदी, आदिवासी पांच फीसदी हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग लगभग 16 फीसदी है। राज्य में तीन-तीन फीसदी ब्राह्मण और इसाई के साथ 16 फीसदी मुसलमान भी हैं।