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मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ और राजस्थान पर भाजपा का अधिक जोर, कांग्रेस के खिलाफ बनाया स्पेशल प्लान

नई दिल्ली : इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में भाजपा जनता के बीच पहुंचने के लिए यात्राएं निकालने पर विचार कर रही है, जिसमें राज्यों के प्रमुख नेताओं की हिस्सेदारी रहे। इसके लिए पार्टी जहां सामूहिक नेतृत्व के साथ एकजुटता का संदेश देगी, वहीं कार्यकर्ताओं को पूरी तरह सक्रिय कर जनता तक अपनी पहुंच भी बनाएगी। अपनी सत्ता व विपक्ष वाले राज्यों में इन यात्राओं का स्वरूप अलग-अलग होगा। भाजपा नेतृत्व इन दिनों इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव वाले राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना व मिजोरम की तैयारी कर रहा है। मिजोरम में उसके पास ज्यादा कुछ करने को नहीं है। वहां पर उसकी एनडीए में सहयोगी एमएनएफ ही आगे रहेगी। तेलंगाना में वह अपनी जड़ें मजबूत कर सत्ता के लिए चुनौती देगी, लेकिन राजस्थान व छत्तीसगढ़ में वह पांच साल बाद सत्ता में वापसी व मध्य प्रदेश में सरकार बरकरार रखने की कोशिश में हैं। राजनीतिक दृष्टि से भी मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ सबसे अहम है।

पार्टी ने इन राज्यों के लिए अपने चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति भी कर दी है। उनके नेतृत्व में चुनावी रणनीति पर अमल भी शुरू कर दिया है। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाल में दिल्ली आकर केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा भी की है। दूसरी तरफ, गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल जाकर पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी राजस्थान व मध्य प्रदेश में यात्राएं निकालने पर विचार कर रही है। राजस्थान में इनका नाम परिवर्तन यात्रा हो सकता है तो मध्य प्रदेश में जन आशीर्वाद यात्रा। हालांकि, बीते चुनाव में भाजपा को मध्य प्रदेश में अपनी जन आशीर्वाद यात्राओं को समय से पहले रोकना पड़ा था।

सूत्रों का कहना है कि इस बार अलग स्वरूप में यात्राएं व अन्य चुनावी कार्यक्रम होंगे। इनकी रचना इस प्रकार से होगी ताकि यह संदेश तो जाए कि सभी बड़े नेता एकजुट हैं। सामूहिक नेतृत्व में पार्टी आगे बढ़ रही है। इसलिए भावी कार्यक्रमों से सभी नेताओं को जोड़ा जाएगा। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा व गृह मंत्री अमित शाह सभी राज्यों की रणनीति व व्यूह रचना को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। बरसात का जोर कम होते ही पार्टी का सघन अभियान शुरू हो जाएगा।

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