पटना : अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने नए सिरे से तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा अगले साल लोकसभा चुनाव और 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन को रोकने के लिए इस बार कोई कोताही बरतने के मूड में नहीं है। कहा जा रहा है कि जिस तरह बिहार की परिस्थितियां बनी हुई है, उसमे भाजपा के नेता ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ के मूलमंत्र को लेकर चुनावी तैयारी में जुट गए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी अपने आक्रामक तेवर के साथ न केवल बयानों से विरोधियों को घेरने में जुटे हैं बल्कि महागठबंधन को परास्त करने के लिए नई टीम के जरिए नई बिसात बिछा रहे हैं।
बिहार बीजेपी ने इसी के लिए स्पेशल 45 की टीम बनाई है। सीधे और सपाट शब्दों में कहा जाए तो बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने पीएम नरेंद्र मोदी के मिशन 2024 के लिए भाजपा के 45 संगठनात्मक जिलों में जिला प्रभारियों का नए सिरे से तैनाती की है। इन प्रभारी नियुक्ति में प्रदेश अध्यक्ष ने जहां जिलों के जातीय समीकरण का ख्याल रखा है, वहीं जमीनी स्तर पर भी पार्टी की हकीकत के जानकार को स्थान दिया गया है। सूची में अनुभवी और युवा का सामंजस्य बैठाने की कोशिश की है। जदयू के अलग होने के बाद से ही भाजपा ने बिहार की सभी 40 सीटों पर तैयारी शुरू कर दी थी। मकसद यही है कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव दोनों को एक साथ पटखनी मिलेगी।
इस रणनीति के बाद यह साफ है कि कुछ सीटों पर भले ही सहयोगी चुनाव मैदान में होंगे, लेकिन जीत की रणनीति भाजपा के हाथों में ही होगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी ने दो दिसंबर को लोकसभा क्षेत्र में जीत तय करने और उसकी किलेबंदी को लेकर नए सिरे से संसदीय क्षेत्र प्रभारियों की भी घोषणा की थी। इस सूची में पूर्व अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल के प्रदेश समिति के कई पदाधिकारियों को रखा गया है। कहा जा रहा है कि इस सूची को बनाने के पहले जहां सांसदों की राय ली गई थी, वहीं पार्टी के रणनीतिकारों द्वारा काफी मंथन भी किया गया था।
इस परिवर्तन को लेकर भाजपा के प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पार्टी चुनाव को लेकर हमेशा तैयार रहती है। भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है और कार्यकर्ताओं के परिश्रम के बाद ही आज यह पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनी है। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का कार्य बराबर चलता रहता है। बहरहाल, भाजपा इस परिवर्तन के जरिए नए तरीके से चुनावी बिसात बिछा रही है अब इसका कितना फायदा पार्टी को मिलता है यह तो बाद में पता चलेगा।