सतना में हो रहा था खून का काला कारोबार, SDM ने फिल्मी अंदाज में स्टिंग कर 3 को दबोचा

सतना : मध्यप्रदेश के सतना जिला अस्पताल की साख तार-तार हो चुकी है। एक तरफ अस्पताल के भीतर दिल्ली और भोपाल की टीमें थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों को HIV संक्रमित खून चढ़ाए जाने के मामले की फाइलें खंगाल रही हैं, तो दूसरी तरफ अस्पताल के गेट पर ही खून के सौदागर इंसानी मजबूरी का फायदा उठाकर 5000 रुपए में खून बेच रहे हैं। गुरुवार को प्रशासन ने इस ‘काले खेल’ का पर्दाफाश करने के लिए बिल्कुल फिल्मी अंदाज में जाल बिछाया। एसडीएम सिटी राहुल सिलाड़िया और कोतवाली टीआई रावेंद्र द्विवेदी ने एक सुनियोजित स्टिंग ऑपरेशन कर खून की दलाली करने वाले 3 लोगों को रंगे हाथों दबोच लिया।
दलालों को रंगे हाथ पकड़ने के लिए एसडीएम ने पुख्ता सबूत तैयार किए थे। इसके लिए उन्होंने 500, 200 और 100 के नोटों से 4500 रुपए की एक गड्डी तैयार की और इन सभी नोटों के सीरियल नंबर पहले से एक रजिस्टर में दर्ज कर लिए। सबूत के तौर पर नोटों का टाइम स्टैम्प वाला एक वीडियो भी बनाया गया, फिर एक व्यक्ति को ‘नकली ग्राहक’ बनाकर खून खरीदने भेजा गया। ग्राहक के रूप में पहुंचे शख्स ने जैसे ही दलाल को पैसे दिए और दलाल ने उससे कहा कि डोनर आ रहा है, वैसे ही इशारा मिलते ही पुलिस और प्रशासन की टीम ने धावा बोल दिया। दलाल की जेब की तलाशी लेने पर वही चिन्हित नोट बरामद हुए, जिनका नंबर प्रशासन ने पहले से नोट कर रखा था।
इस कार्रवाई ने अस्पताल परिसर के बाहर चल रहे खून के अवैध धंधे की पोल खोल दी है। जांच में सामने आया कि अस्पताल के ठीक सामने मौजूद चाय की टपरियों और फलों के ठेलों पर ये दलाल बैठे रहते थे। मरीज के परेशान परिजनों को देखते ही ये उन्हें घेर लेते थे और ब्लड दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूलते थे। पुलिस ने मौके से तीन दलालों को गिरफ्तार किया है, इसमें रजनीश साहू (निवासी करसरा), मोहम्मद कैफ (निवासी कामता टोला), अनिल गुप्ता (निवासी टिकुरिया टोला) शामिल हैं।
इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए एसडीएम राहुल सिलाड़िया ने बताया कि हमें ब्लड की दलाली की सूचना मिली थी। इस पर हमने योजना बनाकर कुछ नोटों को चिन्हित किया और उनका वीडियो रिकॉर्ड कर एक व्यक्ति को ग्राहक बनाकर भेज दिया। अस्पताल के सामने खड़े फल के ठेले पर मिले एक दलाल ने बदले में 4500 रुपए की मांग की। जैसे ही दलाल ने पैसे लिए, हमने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। आरोपी के पास से वही चिन्हित नोट बरामद हुए हैं। इससे साफ है कि दुकानों की आड़ में खून का अवैध कारोबार चल रहा है। पुलिस मामले की विस्तृत जांच कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक अस्पताल के भीतर की मिलीभगत के बिना यह रैकेट चलना नामुमकिन है। बड़ा सवाल यह है कि दलाल बाहर पैसा ले रहा है, तो अंदर से ब्लड या डोनर कौन मैनेज कर रहा है? क्या ब्लड बैंक का कोई कर्मचारी इस सिंडिकेट का हिस्सा है? फिलहाल पुलिस आरोपियों से कड़ी पूछताछ करते हुए इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश कर रही है।



