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बूस्टर डोज: तीसरी खुराक में नहीं ले सकेंगे नई वैक्सीन, सरकार से अनुमति मिलने के आसार कम

नई दिल्ली: कोरोनावायरस के खिलाफ बूस्टर डोज को लेकर चर्चाएं जारी हैं। अब संभावनाएं जताई जा रही हैं कि सरकार तीसरी खुराक के लिए पहले दो डोज की वैक्सीन के अलावा नई वैक्सीन की अनुमति न दे। खास बात है कि वेल्लूर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज की एक स्टडी में सामने आया है कि दो मुख्य वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मिलाने पर खास परिणाम सामने नहीं आए हैं।

जानकार बताते हैं कि CMC में हुई स्टडी के चलते सरकार के प्राथमिक वैक्सीन से अलग बूस्टर डोज की इजाजत देने के आसार कम हैं। मामले के जानकार ने बताया कि स्टडी में पता चला है कि अगर बूस्टर डोज पहली दो खुराक जैसा ही है, तो यह इम्युनिटी को बेहतर ढंग से बढ़ाएगा। वहीं, अगर बूस्टर डोज अलग हो जाता है, तो नतीजे अच्छे नहीं थे। एक अन्य जानकार ने कहा, ‘मौजूदा टीकाकरण कार्यक्रम में दखल देने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि वैक्सीन मिक्सिंग से मिले परिणाम उत्साह बढ़ाने वाले नहीं हैं। मौजूदा नियम के साथ ही काम जारी रखना बेहतर है।’

रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) के बीते सप्ताह हुई बैठक में स्टडी की समीक्षा की गई थी। ईटी से बातचीत में मुख्य जांचकर्ता विंसले रोज ने बताया था, ‘एक बात साफ है कि जो भी वैक्सीन हम इस्तेमाल करेंगे, वह बूस्ट करेगी।’ उन्होंने कहा था, ‘दोनों (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) सुरक्षित हैं। यह कहना सही नहीं होगा कि एक हेटेरोलोगस रिजीम (मिक्स और मैच) एक होमोलोगस (एक ही तरह की वैक्सीन) से बेहतर है।’

रोज ने कहा कि सीएमसी जल्द ही ट्रायल का डेटा ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के पास जमा कर देगी। उन्होंने कहा, ‘वे इस जानकारी का क्या करते हैं, यह फैसला उनपर निर्भर करता है।’ दरअसल, CMC ने एक स्टडी की थी, जिसमें यह देखा गया था कि पूरी तरह टीकाकरण करा चुका एक व्यक्ति अन्य वैक्सीन के बूस्टर पर क्या प्रतिक्रिया देता है। यह जानकारी भी जुटाई गई थी कि कैसे कोविशील्ड और कोवैक्सीन की मिक्सिन और मैचिंग ने दो डोज के मामले में काम किया था। दोनों स्टडीज में 200-200 प्रतिभागी शामिल थे।

खबर है कि फिलहाल सरकार दोनों स्टडीज के नतीजों का इंजतार कर रही है। इसके बाद तय किया जाएगा कि मिक्स और मैच बूस्टर डोज को अनुमति दी जाएगी या नहीं। भारत में तीसरे डोज के तौर पर पिछली वैक्सीन ही दी जा रही है। कहा जा रहा है कि प्रभावकारिता से जुड़े डेटा की कमी के चलते सरकार की तरफ से मिक्स और मैच तरीके को सरकार की तरफ से हरी झंडी नहीं मिली है।

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