बूटपालिश वाला फिर बना राष्ट्रपति !!
स्तंभ: क्यो हारे ब्राजील के उदारवादी राष्टपति बोल्सिनारो कल (31 अगस्त 2012)? केवल दो मुद्दो की उपेक्षा के कारण। पर्यावरण तथा कोविड पर घ्यान नही दिया। पचास लाख वर्ग किलोमीटर के जैविक पिण्ड श्रेत्र अमेजन को अपार विध्वंस से नही बचा पाये। बिना मास्क के खूद घूमते थे उनके अनुयायियो को नही बताते थे कि मास्क आवश्यक है। नतीजन पाँच लाख लोग मर गये। कोविड ने ब्राजील को ग्रस लिया। भारत से प्राप्त कोवेक्सिन का उपयोग भी नही कर पाये। नरेन्द्र मोदी ने उन्हे गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2020) पर विशेष अतिथि बनाया था। तब वे स्वामी नारायण मन्दिर के दर्शन के लिए भी गये थे।
नये राष्ट्रपति कौन जीते? पुराने सोशलिस्ट इग्नेशिया लूला डी शिल्वा बने। वे जेल भी काट आये। क्रान्तिकारी रहे। सड़क के किनारे जूता पॉलिश करते थे। यह धातु कारखाने का श्रमिक यूनियन के अगुवा बने। अपने दल का नाम रखा वर्कर्स पार्टी। फौजी तानाशाह से भिड़े, यातनाये और कारावास भुगता। दो बार राष्ट्रपति निवार्चित हुए। लोकतंत्र स्थापित किया। सर्वप्रथम योजना चलाई छात्रों की पढाई को विकसित करने के लिये। स्कूल में मध्यांह भोजन रखवाया। विश्व मे सर्वाधिक ताकतवर अमरीकी साम्राज्यवाद से लोहा लेकर लूला ने समतामूलक ब्राजील बनाया। विश्व मे सर्वाधिक लोकप्रिय जननायक बने। फिर मोटरकार उद्योगपतियों के कुसंग की वजह से अकूत धन बटोरने के आरोप में सजा भुगती। जेल गये।
ब्राजील के सविधान में यह प्रावधान है कि वहां कोई भी दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता। यही वजह रही कि लूला को लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से संवैधानिक तरीके से रोका गया। तब उन्होंने उनके कैबिनेट की चीफ रह चुकी रूसेफ का नाम प्रस्तावित किया। वर्ष 2003 में डिलमा रूसेफ को राष्ट्रपति लूला की सरकार में ऊर्जा मंत्री नियुक्त किया गया था। वर्ष 2005 से 2010 तक उन्होंने चीफ ऑंफ स्टाफ के रूप मे भी काम किया। पहले किसी भी निर्वाचित पद पर नही रही 62-वर्षीय रूसेफ ने वादा किया था कि वे लूला के रास्ते का अनुसरण करेंगी। वर्ष 1947 मे जन्मी रूसेफ के पिता बुल्गारिया के अनिवासी वकील और व्यवसायी थे। उनकी मां ब्राजील की एक स्कूल टीचर थीं। रूसेफ का झुकाव विद्यार्थी जीवन से ही समाजवाद की तरफ हो गया। उन्होंने 1965 से 1985 तक ब्राजील मे रहे सैनिक शासन का विरोध किया था। वर्ष 1970 से 1972 तक जेल में रही। इस दौरान उन्हे बिजली के झटके तक दिए गये। जेल से छूटने के बाद उन्होंने अर्थशास्त्र की पढाई की और सिविल सेवा मे आ गई। वर्ष 2005 से वे निवर्तमान राष्ट्रपति लूला के शासन मे चीफ ऑफ स्टाफ रहीं। रूसेफ को उनके कुछ समर्थक आयरन लेड़ी की उपाधि भी देते है।
विजयी राष्ट्रपति लूला के प्रतिद्वंदी फौजी रहे बोल्सोनारो बहुत घृणास्पद बातें करते थे। इस राष्ट्रपति ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि पुरूष-महिला के समान वेतन वाले नियम का वे खात्मा चाहते है। कारण : “महिला गर्भधारण करती है। छुट्टी ले लेती है।’’ उनके आंकलन में अरब देश तथा अफ्रीकी राष्ट्र मानवता की संचित गंदगी है। झाड़ना चाहिये। ब्राजील की सेना से रिटायर यह निवर्तमान राष्ट्रपति सैनिक शासन का हिमायती है। वह हत्या, विरोधी है, मगर तड़पा कर मृत्यु देने का पक्षधर है। फांसी को दोबारा कानून बनाना चाहता है।
बोल्सोनारो को ब्राजील का ड़ोनल्ड ट्रंप माना जाता है। वह नारी-द्वेषी है। उनके दो पुत्र हैं। तीसरी संतान एक बेटी है जिसे वह “मेरे कमजोर क्षणो की देन” कहते है। उनकी दृढ मान्यता है कि सेक्युलर गणराजय की अवधारणा ही बेहूदी है, फिजूल है। ईश्वर सर्वोपरि है। उनकी मां ने उनका नाम रखा “जायुर मसीहा बोल्सोनारो’’ क्योंकि वह मानती रही कि जीसस क्राइस्ट ने उनके पुत्र को भेजा है। पूर्व राष्ट्रपति कहते है कि यदि अठारह-वर्ष से कम का व्यक्त् बलात्कार आदि घृणित अपराध करता है तो उसे बालिग की भांति दण्ड मिले। इस पर उनकी विपक्षी सांसद तथा पूर्व मानवाधिकार मंत्री मारिया डी रोजारियो ने बोल्सोनारो को रेपिस्ट कहा। मगर राष्ट्रपति का प्रत्युत्तर था: “मारिया तो बलात्कार लायक भी नही है।’’ तब अदालत ने उन्हें छह माह की सजा दी और दस हजार डालर का जुर्माना लगाया।
बोल्सोनारो का मानना है कि हिंसा शासन का अनिवार्य अंग है। एक टीवी इन्टर्व्यू में वे बोले कि ब्राजील को विकसित बनाना है तो तीस हजार लोगों को गोली से उड़ा देना चाहिये। इसकी शुरूआत समाजवादी नेता प्रोफेसर फर्नाण्डो हेनरिख कार्डोसो से हो। यह नेता ब्राजील का 34वां राष्ट्रपति था। समाजशास्त्र का निष्णात था। मगर अब हार गया। लूला जीते। ब्राज़ील बच गया।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)