स्पोर्ट्स डेस्क : मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन के लिए असफलता विकल्प नहीं है. वो चाहे मुक्केबाजी रिंग हो या पितृसत्तामक परिवार के खिलाफ आवाज उठाना. असम के गोलाघाट जिले के दूर-दराज बारा मुखिया गांव से लेकर ओलंपिक में इतिहास रचने तक उनकी कहानी अपने आप में एक मिसाल है. वो कांस्य पदक जीतने के बाद संतुष्ट नही हैं. उनका बोलना है कि वो पेरिस ओलंपिक में गोल्ड जीतेगी.
उन्होंने ये बात मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बोली. ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन कर कांस्य पदक जीतने के बावजूद लवलीना बोरगोहन खुश नहीं हैं. इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बोला कि, ओलंपिक में पदक जीतना खास होता है, मैंने इस दिन का सपना उस दिन से देखा था जब मैंने पहली बार मुक्केबाजी करनी शुरू की थी, पदक जीतना हमेशा मेरा लक्ष्य रहा है.
इस दौरान उन्होंने बोला कि मेरा सपना अधूरा है, मैं ओलंपिक में स्वर्ण जीतने में असफल रही, मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हूं, मेरा लक्ष्य पेरिस ओलंपिक में गोल्ड जीतने के सपने के साथ जीना है. हालांकि लवलीना को पेरिस ओलंपिक में उस सपने को हासिल करने के लिए लंबा सफर तय करना है.