स्पोर्ट्स डेस्क : 69 किलोग्राम वेट कैटेगरी में भारतीय मुक्केबाज लवलिना ओलंपिक के सेमीफाइनल मैच में मौजूदा विश्व विजेता तुर्की की बुसेनाज सुरमेली से हारी. लवलिना हार भले ही गई हों, पर उन्होंने अपने मुक्के से भारतीय बॉक्सिंग में नया इतिहास रचा है. वो ब्रॉन्ज मेडल लेकर ही भारत वापस आएगी.
लवलिना इस मैच में जीत हासिल करती तो वो ओलंपिक मुक्केबाजी के फाइनल में जगह बनाने वाली भारत की पहली मुक्केबाज बनतीं. ओलंपिक भारतीय मुक्केबाजों के अभी तक बेस्ट परफॉर्मेंस की वो पहले ही बराबरी कर ली हैं. विजेंदर सिंह (2008 में) और एमसी मेरीकॉम (2012 में) ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया हैं.
लवलिना और बुसेनाज के बीच कोई बाउट नहीं हुई थी. बुधवार को इनके बीच पहली भिड़ंत हुई थी. बुसेनाज ने क्वार्टर फाइनल में यूक्रेन की अन्ना लाइसेंको को 5-0 से मात दी थी. लवलिना ने क्वार्टर फाइनल में चाइनीज ताइपे की चिन चेन को मात दी थी. चेन भी पूर्व विश्व विजेता रह चुकी हैं.
विशेष बात ये है कि लवलिना को ओलंपिक से पहले चेन के खिलाफ चार मैच में हार मिली थी. सेमीफाइनल बाउट में लवलिना के पास हाइट एडवांटेज था. लवलिना की लंबाई 5 फीट, 9.7 इंच है. तुर्की की मुक्केबाज की लंबाई 5 फीट, 6.9 इंच थी. लंबाई में 2.8 इंच की बढ़त की एडवांटेज वो हासिल नहीं कर पाई.
तुर्की की बुसेनाज आक्रामक मुक्केबाज हैं. उनके खिलाफ लवलिना को अपने डिफेंस पर खासा ध्यान देने की दरकार है. अच्छी बात ये है कि डिफेंस लवलिना की ताकत भी है. पहले किक बॉक्सिंग करने की वजह से उनका फीट मूवमेंट में दमदार है.