स्पोर्ट्स डेस्क : 2008 में बीजिंग ओलंपिक भारतीय मुक्केबाज विजेंदर सिंह कांस्य पदक अपने नाम करके इतिहास बनाया था. बेशक विजेंदर इस जीत को कभी नहीं भूल पाएंगे लेकिन सोशल मीडिया पर वो अपने लिए ओलंपियन शब्द का प्रयोग नहीं करते हैं.
उनका बोलना है कि वो अब उस सफलता से आगे बढ़ गये हैं. मुक्केबाज विजेंदर ने एक समाचार एजेंसी से बोला कि जब आप एक पहचान छोड़ देते हो और नई चीजों को अपना लेते हो, उन चीजों को समझते हो तो एक टाइम कोई मायने नहीं रखती थीं. ये टाइम और जिम्मेदारी के साथ होता है. जीवन रोजाना नया सबक सिखाता है.
दुनिया भर में चीजों के सामान्य होने पर विजेंदर का एक बड़ा सपना है कि वो एक दिन माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना चाहते है. ये सपना है और मैंने अब तक इसे शुरू करने के लिए कुछ नहीं किया है लेकिन उम्मीद करता हूं कि एक दिन करूंगा. ये एक उपलब्धि होगी, क्या ऐसा नहीं है?’’
मुक्केबाजी में देश का पहला ओलंपिक पदक दिलाने वाले. तीन बार के ओलंपियन विजेंदर ने बीजिंग खेलों से पहले की तैयारियों को याद करते हुए बोला कि, वो स्वर्णिम दिन थे. हम बेपरवाह थे, कोई जिम्मेदारी नहीं थी. हमारी ट्रेनिंग, खान-पान और कुछ दोस्त ही मायने रखते थे.
दो बार नाकाम रहने के बाद विजेंदर ने आखिरी क्वालीफाइंग स्पर्धा से ओलंपिक में जगह बना ली थी. बीजिंग में अनुभवी अखिल कुमार के क्वार्टर फाइनल में हार जाने के बाद विजेंदर मुक्केबाजी में पदक की एकमात्र उम्मीद थे.
विजेंदर ने अपना धैर्य बरकरार रखा और क्वार्टर फाइनल में इक्वाडोर के कार्लोस गोंगोरा को मात देकर इतिहास रचा. उस टाइम यही उनकी दुनिया थी.
वैसे वो ओलंपियन शब्द का इस्तेमाल भी नहीं जबकि अधिकांश मौजूद और पूर्व प्लेयर ऐसा करते हैं. उन्होंने बोला कि, ओलंपिक मेरे लिए अच्छे रहे, बीजिंग में मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, भाग्य से मैं कांस्य पदक जीतने में कामयाब रहा.
मैं बोलना चाहूंगा कि इससे भारतीय मुक्केबाजी को मदद मिली. इसके बाद मैंने काफी चीजें आजमाई, मेरी शादी हो गई, बच्चे हैं, पेशेवर बन गया, राजनीति में भी भाग्य आजमाया. इसलिए मुझे नहीं लगता कि पीछे मुड़कर देखने का मतलब है.
इस बार भारत के नौ मुक्केबाजों ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है और पदक की संभावना के बारे में उन्होंने बोला कि मैं एमेच्योर मुक्केबाजी पर करीबी नजर नहीं रखता क्योंकि मैं कहीं और भी व्यस्त हूं लेकिन मैंने जो भी देखा, सुना और पढ़ा है, उनके एक से ज्यादा पदक जीतने की संभावना है.
अमित पंघाल शानदार लय में है, विकास कृष्ण मजबूत लग रहे है और आपके पास मेरीकॉम है. ये मजबूत टीम है और टोक्यो में उनके सभी मैच नहीं भी देख पाया तो कुछ मैच देखने की उम्मीद है. वही महिलाओं में सिमरनजीत कौर भी है.
वही कांग्रेस के टिकट पर 2019 लोकसभा चुनाव में दक्षिण दिल्ली से दावेदारी करने वाले विजेंदर ने बोला कि राजनीति में दिल टूटने के बाद भी वो इसे नहीं छोड़ेंगे.
वही कोरोना के असर के चलते फिलहाल विजेंदर के पेशेवर करियर पर भी विराम लगा हुआ है लेकिन उन्हें इस वर्ष कम से कम एक मैच में उतरने की उम्मीद है.