
बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने पर मंथन
‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम के तहत निजी अस्पतालों व चिकित्सकों की बैठक, स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पीएसआई इंडिया व केनव्यू के सहयोग से चल रहा कार्यक्रम
फ़िरोज़ाबाद : शून्य से पांच साल तक के बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने को लेकर मंगलवार को अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. फारूक अहमद की अध्यक्षता में स्थानीय एक रेस्टोरेंट में निजी क्षेत्र के अस्पतालों, नर्सिंग होम और चिकित्सकों की बैठक हुई। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (पीएसआई इंडिया) और केनव्यू के सहयोग से चल रहे ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम के तहत पब्लिक प्राइवेट इंटरफेस की यह बैठक आयोजित की गयी। बैठक में 18 निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि डायरिया से बचाव के लिए हाथों की स्वच्छता बहुत जरूरी है, इसलिए हाथों को धुलने का सही तरीका मरीजों और उनके परिजनों को अवश्य बताएं। बच्चों का समय से टीकाकरण कराने के लिए लोगों को प्रेरित करें ताकि बच्चों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता पैदा हो सके। उन्होंने कहा कि इस तरह डायरिया से होने वाले मृत्यु को रोकने मे निजी क्षेत्र के अस्पताल और चिकित्सक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि शून्य से पांच साल तक के बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने के लिए बचाव एवं समय से उपचार जरूरी है।
सीएमओ ने कहा कि निजी चिकित्सक क्लिनिक, अस्पताल व नर्सिंग होम में ओआरएस कार्नर जरूर बनायें ताकि लोगों को आसानी से समझ आ सके कि डायरिया के इलाज में ओआरएस की सबसे बड़ी भूमिका है। उन्होंने बताया कि जनपद में डायरिया से डर नहीं कार्यक्रम के तहत 1751 फ्रंट लाइन वर्कर यानि आशा, एएनएम, 71 महिला आरोग्य समिति की सदस्यों एवं 300 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का अभिमुखीकरण किया जा चुका है ताकि वह समुदाय में जागरूकता की अलख जगाते हुए बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने में मददगार साबित हो सकें। अस्पतालों में ओआरएस कार्नर बनाने के साथ ही दीवार लेखन भी किया जा रहा है। इस दिशा में निजी चिकित्सक, अस्पताल और नर्सिंग होम भी आगे आयें और इन गतिविधियों में हाथ बटाएं ताकि बच्चों को आसानी से डायरिया से सुरक्षित बनाया जा सके।
बैठक में उपस्थित इंडियन एकेडमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के सचिव डा. विवेक अग्रवाल ने कहा की बच्चों को डायरिया से बचाने मे माँ का दूध सबसे उपयोगी है। किसी भी स्थिति में माँ का दूध बंद नहीं करना चाहिए, माँ के दूध में कई पोषक तत्व पाये जाते हैं जो बच्चो को कई प्रकार से सुरक्षा प्रदान करते हैं। निजी चिकित्सकों और अस्पतालों से आग्रह है कि वह डायरिया से डर नहीं कार्यक्रम में सहयोग करते हुए डायरिया केस की रिपोर्टिंग सुनिश्चित करें। बैठक में जिला कार्यक्रम प्रबन्धक भानु प्रताप, शहरी स्वास्थ्य समन्वयक प्रवल प्रताप सिंह, डीसीपीएम रवि कुमार, निजी चिकित्सक, पीएसआई इंडिया से राजेश प्रजापति एवं कैफुल हसन आदि उपस्थित रहे।



