नई दिल्ली। ब्राजील की नौसेना के कमांडर एडमिरल मार्कोस सैम्पाइओ ओलसेन ने बुधवार को भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी से मुलाकात की। एडमिरल मार्कोस इन दिनों भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं। वह 24 अगस्त तक भारत में रहकर नेवी, आर्मी और रक्षा मंत्रालय के उच्च अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। भारत और ब्राजील समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में साझा चुनौतियों पर सहयोग करते हैं। एडमिरल मार्कोस की इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाना है। इसके साथ ही समुद्री सुरक्षा में साझा चुनौतियों पर सहयोग करने के लिए समान विचारधारा वाली नौसेनाओं की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना भी इस यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य है।
नई दिल्ली होने वाली कई महत्वपूर्ण मुलाकातों के अलावा, ब्राजील नौसेना के कमांडर मुंबई भी जाएंगे। मुंबई में वे पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के साथ बातचीत करेंगे। यहां वह भारत के स्वदेशी युद्धपोतों, पनडुब्बियों, नौसेना डॉकयार्ड एवं और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड का दौरा भी करेंगे। भारत में नौसेना प्रमुख से मुलाकात के दौरान एडमिरल मार्कोस ने परिचालन संबंधी गतिविधियों, तकनीकी सहयोग और सैन्य प्रशिक्षण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
राजधानी दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के हेड क्वार्टर्स, साउथ ब्लॉक स्थित प्रांगण में औपचारिक सलामी गारद के साथ उनका स्वागत किया गया। इस संबंध में रक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारतीय नौसेना अपनी विभिन्न पहलों के अंतर्गत ब्राजील की नौसेना के साथ सहयोग करती है। इसमें परिचालन बातचीत, प्रशिक्षण सहयोग और अन्य समुद्री रास्ते जैसे विषय शामिल हैं। भारत और ब्राजील की नौसेनाएं ‘मिलन’ और ‘भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका समुद्री (आईबीएसएएमएआर) जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भी बातचीत करती रही हैं।
दोनों देशों के बीच यह महत्वपूर्ण द्विपक्षीय रक्षा सहयोग, संयुक्त रक्षा समिति के माध्यम से किया जाता है। इस संयुक्त रक्षा समिति का संचालन दोनों देशों के संबंधित रक्षा मंत्रालयों द्वारा किया जाता है। अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान ब्राजील की नौसेना के कमांडर रक्षा सचिव गिरधर अरमाने से भी मुलाकात करेंगे। वह सेना के उप प्रमुख और राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक से भी मुलाकात करने वाले हैं। इस यात्रा के दौरान, एडमिरल मार्कोस सम्पाइओ ओलसेन गुरुग्राम में सूचना संलयन केंद्र – हिंद महासागर क्षेत्र (आईएफसी-आईओआर) भी जाएंगे और विभिन्न रक्षा उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे।