51 लोगों के हत्यारें को मिली उम्रकैद की सजा, नहीं मिलेगी पैरोल
नई दिल्ली: न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर में 15 मार्च 2019 को 28 साल के ब्रेंटन ने अल-नूर और लिनवुड मस्जिद में नमाज के दौरान लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाने वाले आरोपी ब्रेंटन टैरंट को कोर्ट ने आजीवन कैद की सजा सुनाई है साथ ही कहा कि आरोपी को जेल में बंद करने के बाद ताले की चाबी को फेंक दिया जाये। जिससे की आरोपी कभी भी जेल से न निकल सके। इस मुकदमें में कुल 91 लोगों ने गवाही दी है। साथ ही कैद के दौरान आरोपी को पैरोल भी नहीं दी जाएगी।
कोर्ट ने ऑस्ट्रेलियाई नागरिक टैरंट को 51 लोगों की हत्या का आरोपी माना। सुनवाई के दौरान टैरंट बिना हिले-डुले बैठा रहा और अपने खिलाफ गवाहों के बयानों को सुनता रहा। कुल 91 लोग इस हमले के गवाह थे और उन्होंने अपने खास लोगों को गंवाने को लेकर कोर्ट में बेहद ही मार्मिक बयान दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार इस शख्स की वजह से उनके अपनों को उनकी आंखों के सामने ही जुदा होना पड़ा।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान क्राउन सॉलिसिटर ने आरोपी के लिए आजीवन कारावस की सजा और इस दौरान उसे पैरोल भी नहीं दी जाने की मांग की। वहीं, न्यायाधीश कैमरन मंडेर ने आरोपी को जेल में बंद कर उसकी चाबी को फेंकने पर सहमति व्यक्त की।
हालांकि, सुनवाई के बाद न्यायाधीश इस नतीजे पर पहुंचे की आरोपी को बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाएगी। न्यायाधीश मंडेर ने आरोपी को सजा सुनाते हुए कहा, ‘हर एक हत्या के बारे में पीछे जाकर सोचना भी दुखदाई है, हालांकि तुम एक हत्यारे नहीं हो बल्कि एक आतंकवादी हो। तुम्हारे द्वारा किए गए कृत्य अमानवीय है। तुमने एक तीन साल के मासूम की भी हत्या की, जो अपने पिता की टांगों से चिपका हुआ था।’
न्यायाधीश मंडेर ने इस हमले में जान गंवाने वाले और घायल लोगों को मौखिक श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, अदालत का ध्यान जवाबदेही, निंदा और समुदाय की सुरक्षा के लिए केंद्रित होना चाहिए।
क्या था मामला?
15 मार्च 2019 को 28 साल के ब्रेंटन ने अल-नूर और लिनवुड मस्जिद में नमाज के दौरान लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चला दी थीं। पिछले साल हुए इस हमले में ब्रेंटन ने 51 लोगों की जान ले ली थी। इनमें 8 भारतीय भी शामिल थे। हालांकि उसे पुलिस ने हमले के 21 मिनट बाद गिरफ्तार कर लिया था। दोषी टैरंट ने इस नरसंहार का फेसबुक पर लाइव वीडियो भी जारी किया था, जो वायरल होकर एक अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी देखा गया था। यह हमला इतना भयावह था कि इसने देश के पूरे मुस्लिम समुदाय को हिलाकर रख दिया था, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय और स्थानीय लोगों ने प्रभावितों के साथ एकजुटता दिखाई थी।