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बजट 2022: सरकार करदाताओं को दे सकती है बड़ा झटका, टैक्स छूट की संभावना नहीं

नई दिल्ली: सरकार एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में करदाताओं को बड़ा झटका दे सकती है। बताया जा रहा है ‎कि लगातार बढ़ रहे खर्च के कारण राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिहाज से इस बजट में टैक्स छूट मिलने की संभावना नहीं है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव का कहना है कि सरकार को एक फरवरी, 2022 को पेश होने वाले बजट में अर्थव्यवस्था में व्यापक असमानता को कम करने और रोजगार बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। हालांकि शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर खर्च बढ़ाने की जरूरत को देखते हुए इस बार टैक्स कटौती की गुंजाइश नहीं है।

हाल ही में आई विश्व असमानता रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह की व्यापक असमानता न केवल नैतिक रूप से गलत और राजनीतिक रूप से नुकसानदेह है बल्कि इससे हमारी दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाएं भी प्रभावित होंगी। ऐसे में हमें रोजगार आधारित वृद्धि की जरूरत है। अगर इस बजट के लिए कोई थीम है तो वह रोजगार होनी चाहिए। महामारी की वजह से अमीरों एवं गरीबों के बीच आर्थिक खाई को और गहरा किया है। इसने अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वाले निम्न आय वर्ग के लिए भारी संकट पैदा कर दिया है। वहीं उच्च आय वर्ग न केवल अपनी कमाई बढ़ाने में सक्षम है बल्कि महामारी के दौरान उनकी बचत और संपत्ति में इजाफा हुआ है।

पूर्व गवर्नर ने कहा कि अनुभवों से पता चलता है कि संरक्षणवादी दीवारों के साथ निर्यात को बढ़ावा देने की नीति शायद ही कभी प्रतिस्पर्धी होती है, इसलिए आयात शुल्कों को घटाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस साल देश के कर संग्रह में आया उछाल अगले साल खत्म हो जाएगा क्योंकि अनौपचारिक क्षेत्र फिर से पटरी पर आने लगेगा। उन्होंने कहा कि मंदी के कारण नौकरियां कम हुई हैं। आर्थिक गतिविधियों के श्रम प्रधान अनौपचारिक क्षेत्र से पूंजी प्रधान औपचारिक क्षेत्र की ओर केंद्रित होने से भी रोजगार का संकट पैदा हुआ। रोजगार पैदा करने के लिए वृद्धि जरूरी है, लेकिन पर्याप्त नहीं है। इसके लिए निर्यात पर भी जोर देना होगा. इससे न सिर्फ विदेशी मुद्रा मिलेगी बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
सतीश मोरे/30जनवरी

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