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उत्तराखंड में चल पड़ी तरक्की की बुलेट ट्रेन

पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने 23 मार्च 2022 को अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की थी। इस साल मार्च में सरकार ने तीन साल पूरे कर लिए हैं। इन तीन सालों में धामी सरकार ने कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लिए जिनके नतीजे दूरगामी साबित होंगे। ‘सरलीकरण, समाधान और संतुष्टि’ के मूल मंत्र पर चल रही धामी सरकार के तीन साल पर वरिष्ठ पत्रकार गोपाल सिंह पोखरिया की रिपोर्ट।

उत्तराखंड में तरक्की की बुलेट ट्रेन चल रही है। सख्त कानून व्यवस्था, कठोर निर्णय, जनहित में शुरू की गईं दर्जनों विकास योजनाएं, नकल विरोधी कानून, समान नागिरक संहिता, राष्ट्रीय खेल, नया भूमि कानून, वाइब्रेंट विलेज जैसे कई महत्वपूर्ण और प्रभावशाली कदम उठाकर राज्य सरकार लगातार सुर्खियों में रही है। इन सालों में कई नए काम शुरू हुए। पूरे देश में विकास के मानकों पर उत्तराखंड सरकार 2024 के नीति आयोग की रैकिंग में पहले नंबर पर आ गई। खास बात यह कि इस दौरान बेरोजगारी दर में 4.4% की कमी आई है। रोजगार के नए मौके पैदा हुए हैं।

समान नागरिक संहिता
धामी सरकार का सबसे बड़ा और चर्चित कदम राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करना है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने संविधान निर्मताओं के सपने को पूरा किया। यह सरकार का अब तक सबसे अधिक चर्चित व बोल्ड फैसला भी माना जाता है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया जहां समान नागरिक संहिता को विधानसभा में पारित कर 2024 में लागू किया गया। इस कानून का मकसद सभी धर्मों और समुदायों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति और उत्तराधिकार जैसे मामलों में एक समान नियम लागू करना था। धामी सरकार ने इसे राज्य के मूल स्वरूप को बनाए रखने और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम बताया। हालांकि, इसके क्रियान्वयन और प्रभाव को लेकर बहस जारी है। सरकार के इस फैसले के देश के अन्य राज्यों में भी इसे लागू करने की कवायद शुरू हो गई है। गुजरात सरकार ने इस बारे में उत्तराखंड से गाइडलाइन मांगी है।

नकल विरोधी कानून
राज्य बनने के बाद से ही सरकारी नौकरी व परीक्षाओं की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे। ऐसे में धामी सरकार की ओर से लागू किया गया नकलविरोधी कानून भी बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके चलते शिक्षा में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए धामी सरकार ने सख्त नकलविरोधी कानून लागू किया। इस कानून के तहत नकल करने वालों और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान है, जिसमें आजीवन कारावास तक शामिल है। यह कदम खासतौर पर युवाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं में भरोसा बढ़ाने के लिए उठाया गया। इसने नकल माफियाओं पर नकेल कसी और उत्तराखंड को शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल बनाया। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है। इसके लागू होने के बाद 20 हजार नियुक्तियां बिल्कुल पारदर्शी तरीके से हुई है। सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में भी एक अन्य महत्वपूर्ण पहल की है। इसके तहत सरकार ने स्कूलों में उत्तराखंड आंदोलन का इतिहास पढ़ाने का निर्णय लिया है। यह कदम छात्रों को राज्य के इतिहास, संस्कृति और संघर्षों से जोड़ेगा। इससे युवा पीढ़ी में अपनी जड़ों के प्रति गर्व और जागरूकता बढ़ेगी और नई पीढ़ी अपनी विरासत से जुड़ेगी।

नया भू कानून लागू
लंबे समय से राज्य के अंदर भू-कानून में सुधार की मांग उठ रही थी। भू-कानून में ऐतिहासिक सुधार किए गए। देवभूमि के लोगों के भावनाओं के अनुरूप धामी सरकार ने सबसे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की ओर से लागू किए गए उस भू-कानून को विलोपित कर दिया जिसमें उद्योगों, शिक्षण संस्थानों की स्थापना के साथ ही कृषि और बागवानी के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में 12.5 एकड़ भूमि की खरीद की व्यवस्था थी। नई व्यवस्था के तहत नगर निकाय क्षेत्रों को छोड़कर बाकी जगहों पर बाहरी राज्यों के व्यक्ति जीवन में एक बार आवासीय प्रयोजन के लिए 250 वर्ग मीटर भूमि खरीद सकेंगे। इसके लिए उन्हें अब अनिवार्य शपथपत्र देना होगा। नए भू-कानून में 11 जनपदों में 12.5 एकड़ भूमि की सीलिंग खत्म कर दी गई है। हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर में भी 12.5 एकड़ भूमि खरीद से पहले जिस प्रयोजन के लिए खरीदी जानी है, उससे संबंधित विभाग को जरूरी प्रमाणपत्र जारी करना होगा। तब शासन स्तर से अनुमति मिल सकेगी। अब सरकार पोर्टल के जरिए भूमि खरीद प्रक्रिया की निगरानी रख रही है। सभी जिलाधिकारी राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट भेजे रहे हैं।

30 प्रतिशत महिला आरक्षण
सरकार ने 2022 में ही महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया। यह निर्णय महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम था। इससे राज्य की महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिले और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद बढ़ी है। इससे प्रदेश की महिलाओं को आगे बढ़ने का रास्ता भी खुलेगा। बालिका शिक्षा के लिए कई तरह से प्रोत्साहित कराने के लिए राज्य सरकार नंदा गौरा योजना के तहत बेटी के जन्म के साथ ही 12 हजार और 12वीं पास करने पर 51 हजार रुपए की सहायता दे रही है। बेटी के जन्म पर मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट भी उपलब्ध कराई जा रही है। उत्तराखंड सरकार हर साल वीरांगना तीलू रौतेली के जन्मदिन पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली उत्तराखंड की महिलाओं को राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार प्रदान करती है। इस पुरस्कार के तहत 51 हजार की धनराशि, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।

राज्य में लखपति दीदी योजना भी अच्छी चल रही है। इसमें स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी प्रत्येक महिला की सालाना आय एक लाख के पार पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें महिलाओं को कृषि उत्पाद, दुग्ध उत्पादन, सिलाई कढ़ाई के साथ ही रसोई, गैस वितरण, प्रारंभिक पशु चिकित्सा सेवा, बीमा योजना, डिजिटल लेनदेन का प्रशिक्षण देकर आजीविका से जोड़ा जा रहा है। साल 2022 में शुरू की गई इस योजना के सफल परिणाम अब सामने आने लगे हैं। प्रदेश में एक लाख से अधिक महिलाएं लखपति बन चुकी हैं। 2026 तक कुल 2.50 लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

मजबूत अर्थव्यवस्था
राज्य की आर्थिकी पर बात करें तो धामी सरकार ने इस क्षेत्र में भी प्रगति की है। उत्तराखंड में तीन साल में प्रति व्यक्ति आय में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 2023-24 में यह 2,60,000 रुपये तक पहुंच गई, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। पर्यटन, बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास पर ध्यान देने से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली। उदाहरण के लिए, ऊधमसिंह नगर में प्राग फार्म की 1354 एकड़ भूमि को ग्रीन फील्ड टाउनशिप के लिए सिडकुल को हस्तांतरित किया गया, जिससे औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। यह कदम औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगा और राज्य में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और युवाओं को अपने राज्य में ही रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। युवाओं को जापान जैसे देशों में रोजगार के अवसर देने के लिए मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन योजना शुरू की गई है। साथ ही स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने और निजी क्षेत्र में नौकरियों के अवसर पैदा करने की योजनाएं शुरू की गई हैं। यह पहल युवाओं को अपने राज्य में ही रोजगार के अवसर प्रदान करेगी और पलायन की समस्या को कम करने में सहायक होगी। प्रदेश की कानून व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में भी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।

कानून व्यवस्था
इस दिशा में धामी सरकार ने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बनाया, जिसे राज्य के सांस्कृतिक स्वरूप को संरक्षित करने के प्रयास के रूप में देखा गया। इसके साथ ही दंगाइयों पर नकेल कसने के लिए दंगा विरोधी कानून लागू किया गया, जिसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली का प्रावधान है। इन कदमों को कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में सराहा गया। जमीनों पर बाहरी लोगों का कब्जा न हो इस दिशा में भी सरकार ने अहम कदम उठाया है। उत्तराखंड में लंबे समय से सख्त भू-कानून की मांग उठती रही है, विशेष रूप से बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीदने पर रोक लगाने के लिए। धामी सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए हाल ही में विधानसभा बजट सत्र में इस कानून को विधिवत रूप से लागू करने की प्रक्रिया पूरी की है। यह कदम स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करने और राज्य की प्राकृतिक संपदा को संरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय साबित हो सकता है। पिछले कुछ समय में धामी सरकार ने 5,000 एकड़ से अधिक भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया है, जो राज्य में भूमि प्रबंधन और कानूनी शासन को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। साथ ही, ‘सरकारी और निजी संपत्ति क्षति वसूली एक्ट’ को लागू कर दंगाइयों से नुकसान की भरपाई का प्रावधान किया गया। यह कानून हल्द्वानी हिंसा (फरवरी 2024) के बाद लाया गया था, जिसने सरकार के कठोर रुख को स्पष्ट किया है।

आत्मनिर्भर राज्य
उत्तराखंड आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है। सरकार ने किसानों के हित में भी कई बड़े फैसले लिए हैं। सरकार ने गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया और बेमौसमी धान की खेती पर रोक हटाने जैसे फैसले लिए। किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सरकार ने गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है। यह निर्णय गन्ना उत्पादक किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य दिलाने में सहायक हुआ। इससे किसानों की आय में वृद्धि हुई और वे अधिक आत्मनिर्भर बने। ये उत्तराखंड जैसे कृषि-प्रधान राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। धामी सरकार ने राज्य की आबकारी नीति में बदलाव किया है। इससे शराब की बिक्री और वितरण को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने के साथ-साथ अवैध शराब के व्यापार पर रोक लगाने में मदद मिली। इस फैसले से राजस्व में वृद्धि हुई है जिसका उपयोग विकास परियोजनाओं में करने की योजना है। यह कदम न केवल आर्थिक लाभ का स्रोत है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को भी सुनिश्चित करता है।

एकीकृत पेंशन योजना
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एकीकृत पेंशन योजना उत्तराखंड में लागू हुई। इस योजना के तहत पेंशनभोगियों को बेहतर सुविधाएं और आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जा रही है। यह कदम विशेष रूप से वृद्धजनों के लिए लाभकारी है, जो अपनी सेवानिवृत्ति के बाद सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं। कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी और उपनल कर्मियों के मानदेय में 10 प्रतिशत वृद्धि जैसे कदम उठाए गए। उत्तराखंड कारागार विभाग के लिए नई नियमावली लागू की गई है, जिसका मकसद कारागारों में सुरक्षा और प्रशासन को बेहतर बनाना है। यह सुधार न केवल कारागारों के संचालन को प्रभावी बनाएगा, बल्कि कैदियों के पुनर्वास और समाज में पुन: एकीकरण को भी प्रोत्साहित करेगा।

लोक लुभावन योजनाएं
धामी सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया। बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और कल्याणकारी योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। लोक लुभावन और विकासोन्मुखी घोषणाओं के साथ यह बजट राज्य को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाने का लक्ष्य रखता है। उत्तराखंड ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में विभिन्न देशों के उद्योगपतियों द्वारा 3.56 लाख करोड़ के 1,779 एमओयू हस्ताक्षरित हुए हैं। उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों को बड़े स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से ‘एक जनपद दो उत्पाद योजना’ की शुरुआत की गई। इस योजना के जरिए प्रत्येक जिले में स्थानीय उत्पादों को व्यावसायिक रूप से बढ़ावा मिल रहा है, उत्तराखंड के 27 उत्पादों को जीआई टैग भी मिल चुके हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए होम स्टे योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत, पर्यटकों के ठहरने के लिए पहाड़ों में होम स्टे बनाने पर सरकार 10 लाख रुपये तक की छूट दे रही है। यह योजना पहाड़ों से पलायन रोकने और रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने में काफी सफल साबित हो रही है।

नई खेल नीति
उत्तराखंड में नई खेल नीति को लागू कर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस नीति के तहत ओलंपिक खेल में पदक लाने वाले खिलाड़ियों को ग्रेड पे-5400 पर और ओलंपिक खेल में प्रतिभाग करने वाले एवं विश्व चैंपियनशिप, विश्वकप, एशियन खेल एवं राष्ट्रमंडल खेल के पदक विजेता खिलाड़ी को सीधी भर्ती के पदों पर नियुक्ति दी जा रही है। इसके साथ 8 से 14 साल तक के खिलाड़ियों को शारीरिक परीक्षण और दक्षता के आधार पर हर महीने 1500 रुपये एवं 14 से 23 साल तक के 2600 मेधावी खिलाड़ियों को 2000 रुपये की छात्रवृत्ति दी जा रही है।

गांव बसाने में सरकार ऐसे करेगी मदद
धामी सरकार ने तय किया है कि 30 लाख रुपये की सीमा तक के व्यावसायिक ऋण की अनुमति के बदले में लगने वाले शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाएगी। पुराने मकानों के आधुनिकीकरण व साज-सज्जा तथा नए शौचालयों के निर्माण के लिए भू-उपयोग परिवर्तन की जरूरत नहीं होगी। होम स्टे योजना के तहत मकान के जीर्णोद्धार के लिए बैंक ऋण लेने पर पात्र आवेदकों को सरकार से मदद मिलेगी। होम स्टे योजना के प्रचार-प्रसार के लिए अलग से वेबसाइट व मोबाइल एप विकसित किया गया है। होम स्टे संचालकों को आतिथ्य सत्कार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। होम स्टे से होने वाली आय पर एसजीएसटी की राशि की प्रतिपूर्ति विभाग द्वारा पहले तीन वर्षों तक की जाएगी। साथ ही मैदानी जिलों में लागत का 25 प्रतिशत या अधिकतम 7.50 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। पांच वर्षों तक अधिकतम एक लाख रुपये प्रति वर्ष तथा पर्वतीय जिलों के लिए लागत का 33 प्रतिशत या अधिकतम 10 लाख रुपये ब्याज सहायता दी जाएगी। इतना ही नहीं, पांच वर्षों तक 1.50 लाख रुपये/वर्ष की अतिरिक्त ब्याज अनुदान राशि भी दी जाएगी।

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