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दीये में रंग भरकर मूक बधिर बच्चे जरूरतमंदों की रंगीन कर रहे दीपावली

मुजफ्फरपुर: कहा जाता है कि अगर हिम्मत और जज्बा मन में हो, तो किसी दूसरे की मदद कर उसकी जिंदगी में आने वाले त्योहारों में खुशियां लाई जा सकती हैं। ऐसा ही कुछ कर रहे हैं बिहार के मुजफ्फरपुर के मूक बधिर स्कूल के बच्चे। ये बच्चे भले ही मुंह से बोल और कान से सुन नहीं पा रहे हैं, लेकिन ये अपने हुनर से दूसरे के जीवन में इस दीपावली खुशिंयां पहुंचाने और उनके घरों को रोशन करने का बीड़ा उठाया है। इन मूक बधिर बच्चों की जीवन भले ही रंगबिंरगी नहीं हों, लेकिन इन बच्चों का जज्बा उन घरों को रंग बिरंगी दीये से रोशन करने की है, जिन घरों में आर्थिक कारणों से दीपावली के दीये नहीं जलते।

मुजफ्फरपुर के गौशाला रोड स्थित एक मूकबधिर स्कूल के बच्चे दीया बनाकर दीपावली के मौके पर उन घरों को रौशन करने की तैयारी में हैं, जहां दीये नहीं जलते। वैसे, यह कोई पहली बार नहीं हैं, कि ये बच्चे जरूरतमंदों के घरों को रौशन करने वाले हैें। पिछले छह सालों से इस स्कूल के बच्चे दीपावली के 15 दिन पहले से दीया बनाकर गरीब जरूरतमंदों को देते आ रहे हैं। इस बार भी इन बच्चों ने दीया बनाना शुरू कर दिया है।

ये बच्चे अपने हुनर से दीयों पर तरह-तरह की कलाकृति बनाते हैं, जिसमंे वे अपनी भी खुशी तलाशते हैं। ये बच्चे एक-दूसरे को इस कार्य के लिए उत्साहित भी करते हैं। यहीं कारण है कि ये 15 दिनों में ही सैेकडों दीयों में अपनी कला उकेर देते हैं। विद्यालय की ओर से इन बच्चों को सारी समाग्री उपलब्ध कराई गई है। स्थनीय लोग भी कहते हैं कि दीपों के पर्व दीपावली को लेकर जहां कृत्रिम लाइटें, रंग-बिरंगे बल्ब और आधुनिकता की इस चकाचैंध में परंपरागत दीप पीछे छूटते जा रहे हैं, ऐसे में इन बच्चों द्वारा इन दीपों को वापस लाने और संस्कृति में संजोए रखने का प्रयास काबिले-तारीफ है। लोग कहते हैं कि मूक बधिर बच्चे अपने हुनर की बदौलत दीपों को अनोखा रंग रूप और स्वरूप देकर दीपावली को और बेहतर बनाने में जुटे हैं।

गौरतलब है कि मूक बधिर इस स्कूल में दीपावली इको फं्रेडली मनाई जाती है, जिसमें शोरगुल भी नहीं होता है। यहां स्वच्छ और स्वस्थ दीपावली मनाने की परंपरा है। विद्यालय के संचालक संजय कुमार बताते हैं कि मूकबधिर बच्चों को हुनरमंद बनाकर अपने पैरों पर खड़ा करने के उद्देश्य से उन्हें समय-समय पर विभिन्न विषयों का प्रशिक्षण दिलाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस दीपावली के पहले डिजायनर दीप बनाने का प्रशिक्षण दिलाया गया था।

उन्होंने बताया, प्रत्येक वर्ष यहां के बच्चों को दीपावली के पूर्व डिजाइनर दीया बनाने व पेंटिंग करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस साल करीब 1000 से अधिक दीयों को इन बच्चों द्वारा तैयार किया गया है, जो आसपास के गरीब और जरूरतमंद परिवार व उनके बच्चों को दिया जाएगा, जिससे उनकी दीपावली रंगीन हो सके।

संजय मुफ्त में इन मूक बधिर बच्चों के लिए स्कूल चलाते हैं। संजय कहते हैं कि इन बच्चों को पढ़ाई के अलावे हुनरमंद बनाने की कोशिश की जा रही है।

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