मुंबई : उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) के फैसले को महाराष्ट्र के नेताओं ने स्वागत किया है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से लोकतंत्र और जनमत की जीत हुई है, जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सत्य की जीत बताया है, कुलमिलाकर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को लाइफलाइन दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम संतुष्ट हैं। इस निर्णय का करारा झटका महाविकास आघाड़ी को लगा है, क्योंकि इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे को दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों के निलंबन का पूरा अधिकार विधानसभा के अध्यक्ष को सौंप दिया है। देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के निर्णय को भी सही ठहराया है। किसी भी पार्टी के बारे में चुनाव आयोग स्वतंत्र फैसला ले सकता है। उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हैं। अब सभी को इसका आदर करना चाहिए। अब खबर है कि इस राहत के बाद एकनाथ शिंदे अपनी कैबिनेट का विस्तार कर सकते हैं।
बता दें कि इस समय चर्चा है कि 17 जुलाई से शुरू होने वाले मॉनसून सेशन से पहले एकनाथ शिंदे सरकार का कैबिनेट विस्तार होगा। इससे पहले बीते साल अगस्त में गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने 18 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई थी। तब एकनाथ शिंदे गुट के 9 विधायक मंत्री बने थे और इतने ही भाजपा विधायकों को मंत्री पद मिल गया था। अब असली शिवसेना का दर्जा पा चुके शिंदे गुट के नेताओं का कहना है कि विस्तार में उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो महाविकास अघाड़ी सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सत्य की जीत हुई है। लोकशाही में हमेशा बहुमत का महत्व रहता है। हमने पहले से ही सभी कानूनी पहलुओं का अध्ययन कर नियमानुसार सरकार का गठन किया था। हमारी सरकार संवैधानिक है, यह आज सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने साबित कर दिया है। सीएम शिंदे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सभी ने स्वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों के निलंबन का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा है, विधानसभा अध्यक्ष इस संबंध में मेरिट पर निर्णय लेंगे। सीएम शिंदे ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल ने उस समय की परिस्थितियों के अनुरूप ही निर्णय लिया था। इसलिए राज्यपाल को इस संबंध में गलत नहीं ठहराया जा सकता।