कनाडा की कोर्ट ने खोली ट्रूडो की पोल, विरोध प्रदर्शनों पर दोहरे रवैये को लेकर लगाई फटकार
ओटावा: कनाडा की अदालत ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को कड़ी फटकार लगाई है। वजह है विरोध प्रदर्शनों को लेकर दोहरे रवैया अपनाना। कनाडा की संघीय अदालत के न्यायाधीश रिचर्ड मोस्ले ने मंगलवार के फैसले में लिखा कि देश में आपातकाल नहीं लगा था। ऐसे में आपातकालीन अधिनियम को लागू करने को उचित ठहराने वाला कोई आधार नहीं था और ऐसा करने का निर्णय अनुचित और अधिकार क्षेत्र से बाहर था।” प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने फरवरी 2022 में कोविड-19 टीकाकरण का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए इमरजेंसी लगा दी थी।
इस मामले को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ओटावा की एक संघीय अदालत ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानियों के वोट के लिए भारत में किसान आंदोलन का समर्थन किया था लेकिन, भारत विरोधी हिंसक प्रदर्शनों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताकर बचाव करते हैं। कनाडा के संघीय न्यायालय के फैसले ने यह भी कहा कि विरोध में शामिल व्यक्तियों से जुड़े बैंक खातों को फ्रीज करने का कार्य भी अनुचित था। न्यायाधीश ने लिखा, “ओटावा शहर के निवासियों, श्रमिकों और व्यापार मालिकों का उत्पीड़न और वहां सार्वजनिक स्थानों के शांतिपूर्ण आनंद के अधिकार का सामान्य उल्लंघन, हालांकि अत्यधिक आपत्तिजनक है, गंभीर हिंसा या गंभीर हिंसा की धमकी की श्रेणी में नहीं आता है।”
कोर्ट ने 2022 में फ्रीडम प्रोटेस्ट को कुचलने को लेकर ट्रूडो सरकार की आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने इस विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए आपातकालीन शक्तियों का गलत और अनुचित उपयोग किया। न्यायमूर्ति रिचर्ड मोस्ले ने कहा कि अगर हालात इतने ही खराब थे तो विरोध प्रदर्शन को मौजूदा कानूनों के तहत प्रतिबंधित किया जा सकता है। कंजर्वेटिव विपक्ष का नेतृत्व करने वाले और नाकाबंदी के बीच प्रदर्शनकारियों को कॉफी और डोनट्स पहुंचाने के लिए जाने जाने वाले पियरे पोइलीवरे ने एक्स (ट्विटर) पर ट्रूडो की आलोचना की।
उन्होंने लिखा कि ट्रूडो ने आपातकालीन अधिनियम के साथ देश में सर्वोच्च कानून तोड़ा। पोइलिवरे ने कहा, “उन्होंने लोगों को विभाजित करके संकट पैदा किया। फिर उन्होंने अवैध रूप से नागरिकों को दबाने के लिए चार्टर अधिकारों का उल्लंघन किया। पीएम के रूप में, मैं आजादी के लिए अपने देश को एकजुट करूंगा।”
स्वतंत्रता काफिले के विरोध प्रदर्शन ने कनाडा की प्रतिष्ठा को हिलाकर रख दिया था। 2022 की शुरुआत में, “फ्रीडम कॉन्वॉय” प्रदर्शनों ने ओटावा को जाम कर दिया था। यह प्रदर्शन कनाडा में वैक्सीन की अनिवार्यता और कोविड प्रतिबंधों के विरोध में आयोजित की गई थी। लेकिन, ट्रूडो ने प्रदर्शनकारियों से बात करने की जगह आपातकालीन शक्तियों को लागू कर दिया। इससे पुलिस और प्रशासन को विरोध प्रदर्शन को कुचलने की पूरी छूट मिल गई। ट्रूडो ने अपने फैसले को सही बताया था और आंदोलनकारियों की आलोचन की थी।