कैंसर जागरूकता अभियान श्रृंखलाओं की है सतत अनिवार्यता
सुरेन्द्र कुमार किशोरी : आज समूची दुनिया कोविड-19 वायरस संक्रमण से बचाव और मुकम्मल इलाज के खोज की दिशा में हरसंभव प्रयास कर रही है। भारत के वैज्ञानिकों को वैक्सीन बनाने में सफलता मिली तथा उन्होंने ना केवल वैक्सीन बनाकर भारत में वैक्सीनेशन में शुरू करवा दिया, बल्कि विदेशों में भी भारत का वैक्सीन पहुंच गया है।
वहीं, रिसर्च करने वाले दुनिया भर के लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़े, इस ओर हर दिन, विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के विशेषज्ञ नया-नया नुस्खा बता रहे हैं। लेकिन इस बात के भी ठोस प्रमाण हैं कि कोविड संक्रमण ने उन्हीं लोगों को ज्यादा परेशान किया जो कैंसर, डायबिटीज, गंभीर किडनी रोगों, हृदय रोगों सहित अन्य जानलेवा बीमारियों के गिरफ्त में पहले से थे।
जिनका रोग प्रतिरोधन क्षमता पहले से ही काफी कम था या इलाज की कड़ी में इम्यून सिस्टम्स को दवाओं के माध्यम से कमजोर कर दिया गया था। इसकी जड़ में वही जानलेवा कैंसर कारक तम्बाकू सेवन, निष्क्रिय जीवन शैली, जंक फूड का सेवन, अस्वास्थ्यकर भोजन, नकारात्मक सोच के साथ मादक पदार्थों का सेवन और जिंदगी में तनाव ही मूलतः जिम्मेवार मिला। जिसने लोगों में रोगों से लड़ने की शारीरिक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम्स को नेस्तनाबूद कर दिया। वहीं, प्राकृतिक वनस्पति, पौष्टिक विटामिन-सी, डी, ई एवं ए और अन्य एन्टी ऑक्सिडेंट फलों का सेवन, अदरख, हल्दी, निम्बू, शहद , शाकाहारी भोजन, जिंदगी में हर कदम पर शारीरिक सफाई, व्यक्तिगत स्वच्छता, हाथों की समुचित सफाई एक मजबूत कड़ी के रूप में सामने आया। जो इस वायरस संक्रमण से हमें बचाव का एक रास्ता दिखाया है।
कैंसर अवेयरनेस सोसाइटी विगत कई वर्षों से आमजनों को कैंसर जैसे जानलेवा बीमारियों से बचने के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम को चला रही है। ताकि लोग तम्बाकू उत्पादों के सेवन से दूर रहें, शारीरिक सफाई पर नियमित ध्यान दें, पौष्टिक खाना लें, जननांग की स्वच्छता का ख्याल रखें तथा आध्यात्ममिक लगाव, योगासन, सकारात्मक सोच, सक्रिय जीवन शैली , जिंदगी जीने का जज्बा जैसे तत्त्वों को आत्मसात कर अपने शरीर की इम्यून सिस्टम को बढ़ाकर, कैंसर रोगों व अन्य वायरस जनित बीमारियों का मुकाबला मजबूती के साथ करने की दिशा में अग्रसर हों।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि 33 प्रतिशत कैंसर रोगों का इलाज है, 33 प्रतिशत कैंसर रोगों का जागरूकता के माध्यम से बचाव है और 33 प्रतिशत कैंसर रोगों का केवल पैलिएटिव उपचार है। लेकिन, कैंसर अवेयरनेस सोसाइटी का मानना है कि हिंदुस्तान में लगभग 50 प्रतिशत तक कैंसर रोगों को जन जागृति के माध्यम से रोका जा सकता है। यदि खैनी, गुटका, धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट), हुक्का, गुल, जर्दा जैसे तम्बाकू मिश्रित उत्पादों का सेवन रोक दिया जाय, तो लगभग 40 फीसदी तक विभिन्न प्रकार के कैंसर रोगों को हम पनपने से रोक सकते हैं। यह भी पाया गया है कि कोरोना वायरस का संक्रमण तम्बाकू उत्पादों का सेवन करने वालों में अधिक जानलेवा बन जाता है।
कैंसर रोगों सहित अन्य जानलेवा रोगों की जननी तम्बाकू उत्पादों का सेवन को नियंत्रित और उन्मूलन करने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ ही हम सभी लोगों का भी नैतिक दायित्व है कि अपने आने स्तर से सकारात्मक पहल करें। हिंदुस्तान में खासकर शहरी इलाक़ों में महिलाओं में कैंसर रोगों में स्तन कैंसर अधिक (महिलाओं में कुल कैंसर का 25-32 प्रतिशत) पाया जाने लगा है। जबकि ग्रामीण महिलाओं में आज भी सरवाइकल कैंसर यानि बच्चेदानी के मुख का कैंसर, कैंसर रोगों में सर्वाधिक हैं। अपने देश में स्तन कैंसर का लगभग 48 प्रतिशत मरीज 50 वर्ष से कम उम्र के हैं, आजकल 25 से 40 वर्ष की हिंदुस्तानी महिलाओं में इस कैंसर के अधिक मरीज मिल रहे हैं। युवा वर्ग में स्तन कैंसर काफी आक्रामक भी होता है। जागरूकता, शिक्षा में कमी, रोगों को चिकित्सकों को बताने में शर्म-झिझक के कारण स्तन कैंसर के विकसित अवस्था (80 प्रतिशत) में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं।
जबकि अमेरिका जैसे विकसित देशों में शुरुआती अवस्था में ही 60 प्रतिशत से अधिक मरीज इलाज के लिए अस्पतालों में चले आते हैं। केरल राज्य सर्वाधिक शिक्षित राज्य है, वहां महिलाओं में स्तन कैंसर, कुल कैंसर रोगों में सर्वाधिक है। चर्बीदार खाना, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, जंक, फास्ट फूडड का प्रयोग, आनुवंशिकता, रोग प्रतिरोधन क्षमता में कमी जैसे कुछ रिस्क फैक्टर हैं जो स्तन कैंसर के जनन के कारक तत्वों में शामिल हैं। यदि किसी के परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास रहा हो तो ज्यादा सावधानी बरतनी है। यह भी सत्य है कि स्तन में पाए जाने वाले दस गांठों में आठ गांठ कैंसर नहीं होते हैं। हर महिला को 25 -30 वर्ष की आयु से स्नान करते समय स्वस्तन परीक्षण करना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार का गांठ, गिल्टी, कड़ापन की शुरुआती अवस्था में ही पहचान हो सके। सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, हॉर्मोन थिरेपी, जीन थेरेपी, इम्यून थेरेपी जैसे आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों से बेहतर इलाज किया जा सकता है।
जिंदगी जीने की ललक, आत्म बल, सक्रिय जीवनशैली, मोटापा से बचाव से, योग, फैटी खाना से परहेज से स्तन कैंसर से बचाव किया जा सकता है। मुंह, गला और फेफड़ा कैंसर रोगों के साथ ही महिलाओं में स्तन (ब्रैस्ट) कैंसर, सर्वाइकल (बच्चादानी के मुख ) कैंसर रोगों को शुरुआती अवस्था में ही पहचान और समुचित इलाज के लिए टार्गेटेड स्क्रीनिंग सह उपचार कैम्प के साथ ही निःशुल्क सेवा प्रदाताओं और सरकारी अस्पतालों की सम्मिलित भागीदारी को भी एक प्लेटफॉर्म पर लाना होगा। ताकि वंचित और गरीब आबादी को जिंदगी जीने का एक सहारा मिल सके। हम सब हिदुस्तानी मिल-जुलकर अपने देश को स्वस्थ, शक्तिशाली, विकसित बनाने के लिए कैंसर मुक्त समाज, तम्बाकू मुक्त परिवेश बनाने का दृढ़ संकल्प लें। निश्चय ही कल्याणकारी भावनाएं, सकारात्मक विचार, इंसानियत का सम्मान, भाईचारा और प्राकृतिक सम्पदाओं को अक्षुण्ण बनाये रखने की मानसिकता विश्व शांति की अवधारणा कैंसर रोगों से मुक्त भारत देश बनाने की दिशा में एक ठोस अनुकरणीय कदम साबित होगा।
(यह लेखक के स्वतंत्र विचार है।)