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RBI ने दी बड़ी राहत, अब कार, मकान लोन हो जाएगा सस्ता!

रेपो रेट घटाकर 5.5% की, नीतिगत रुख को बनाया तटस्थ

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती कर इसे 6 प्रतिशत से 5.5 प्रतिशत करने की घोषणा की। मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के निचले बैंड से नीचे आ गई है। RBI द्वारा यह लगातार तीसरी बार रेपो दर में कटौती है, क्योंकि मुद्रास्फीति में नरमी के कारण बैंक को आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिला। वहीं नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में भी 100 आधार अंकों की कटौती की गई है। आरबीआई गवर्नर ने सीआरआर में 100 आधार अंकों की कटौती की भी घोषणा की, जो 6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर से शुरू होने वाले 25 आधार अंकों के चार बराबर चरणों में प्रभावी होगी। इस कदम से बैंकिंग प्रणाली में 2.5 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है, जिससे तरलता बढ़ेगी और ऋण प्रवाह को समर्थन मिलेगा।

नीतिगत दर कम होने से बैंक ऋणों पर ब्याज दर में आती है कमी

नीतिगत दर कम होने से बैंक ऋणों पर ब्याज दर में कमी आती है, जिससे उपभोक्ताओं के साथ-साथ व्यवसायों के लिए उधार लेना आसान हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में अधिक खपत और निवेश होता है, जिससे उच्च विकास होता है। हालांकि, इस दर कटौती की प्रभावशीलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि वाणिज्यिक बैंक उधारकर्ताओं को लाभ कितनी जल्दी और कुशलता से देते हैं। वहीं सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) और बैंक दर को 5.75 पर समायोजित किया गया है। आरबीआई ने घोषित अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति बैठक में अपने नीतिगत रुख को ‘समायोजनकारी’ से ‘तटस्थ’ में बदल दिया है। इस संबंध में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इस साल फरवरी से अब तक रेपो दर में लगातार 100 आधार अंकों की कटौती की गई है और इसलिए मौद्रिक नीति के रुख को उदार से बदलकर तटस्थ कर दिया गया है। इससे आरबीआई समग्र विकास-मुद्रास्फीति गतिशीलता पर कड़ी नजर रख सकेगा।

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