पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को जातीय जनगणना के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई। इसमें विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी को नहीं बुलाया गया। इससे नाराज सहनी ने कड़ी आपत्ति जताई है। हालांकि उन्होंने जातीय जनगणना कराए जाने का स्वागत किया है। वीआईपी नेता का कहना है कि सर्वदलीय बैठक में सभी दलों को बुलाया जाना चाहिए था। उनकी पार्टी हमेशा से जातीय जनगणना की पक्षधर रही है।
पिछले साल जब बिहार के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, तब सहनी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा था। लेकिन बुधवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में वीआईपी को नहीं बुलाया गया था। सहनी का कहना है कि वह इस बात के पक्ष में रहे हैं कि बिहार में जातिगत जनगणना होनी चाहिए और वह इस मुद्दे पर हमेशा नीतीश कुमार के साथ खड़े रहे हैं। सहनी ने कहा कि उन्होंने सर्वदलीय बैठक में न्यौता न दिए जाने को लेकर संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी को भी पत्र लिखा था। उन्होंने कहा कि बिहार में विभिन्न सामाजिक वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले कई राजनीतिक दल हैं। जिन राजनीतिक दलों को पिछले विधानसभा चुनाव में जनता का सपोर्ट मिला, भले ही उनके पास कोई विधायक न हो, उनकी राय और विचार को बैठक में लिया जाना चाहिए था। मैं वर्तमान में बिहार विधान परिषद का सदस्य हूं।
बता दें कि मुकेश सहनी जातीय जनगणना के मुद्दे पर मुखर रहे हैं। उन्हें लगता कि इस मुद्दे के सहारे वे राजनीतिक चर्चाओं में बने रहेंगे, लेकिन उन्हें नहीं बुलाया गया। वीआईपी नेता ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में चर्चा के लिए राज्य के सभी दलों को बुलाया जाना चाहिए क्योंकि यह राज्य का एक महत्वपूर्ण विषय है। वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई से सांसद चिराग पासवान को भी बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने कहा कि यह पता नहीं चल पाया है कि सरकार ने उनकी पार्टी को बैठक में शामिल नहीं करने का फैसला क्यों लिया।