दस्तक-विशेषबिहारराजनीतिराज्य

Bihar : आयोजन की बिसात पर जाति की सियासत

सबसे पहले बात बीते दिनों प्रदेश में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने की करते हैं। इसका सीधा उद्देश्य पिछड़ा, अत्यंत पिछड़ा और अनुसूचित जाति, जनजाति को साधना था। इसमें नीतीश कुमार काफी सफल भी रहे। इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरियों और दाखिले में 75 प्रतिशत आरक्षण को लागू कर दिया। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के हस्ताक्षर और गजट अधिसूचना के साथ ही राज्य की सरकारी सेवाओं और सरकारी शिक्षण संस्थानों के दाखिले में आरक्षण की नई व्यवस्था लागू भी हो गई है। नई व्यवस्था में पहले से जारी आरक्षण में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई। इनमें से 13 प्रतिशत पिछड़े एवं दो प्रतिशत अनसूचित जाति-जनजाति के कोटे में जोड़ा गया।

पटना से दिलीप कुमार

लोकसभा चुनाव में कुछ ही महीने शेष हैं। बिहार में इसे लेकर राजनीति तेज हो गई है। जातियों की गोलबंदी की जा रही है। हर एक जाति विशेष के आराध्य को लेकर आयोजन किया जा रहा है। इसमें भाजपा, जदयू, राजद और कांग्रेस से लेकर अन्य छोटे दल लगे हैं। इस तरह देखा जाए तो आयोजन की बिसात पर जाति की राजनीति है। सबसे पहले बात बीते दिनों प्रदेश में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने की करते हैं। इसका सीधा उद्देश्य पिछड़ा, अत्यंत पिछड़ा और अनुसूचित जाति, जनजाति को साधना था। इसमें नीतीश कुमार काफी सफल भी रहे। इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरियों और दाखिले में 75 प्रतिशत आरक्षण को लागू कर दिया।

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के हस्ताक्षर और गजट अधिसूचना के साथ ही राज्य की सरकारी सेवाओं और सरकारी शिक्षण संस्थानों के दाखिले में आरक्षण की नई व्यवस्था लागू भी हो गई है। नई व्यवस्था में पहले से जारी आरक्षण में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई। इनमें से 13 प्रतिशत पिछड़े एवं दो प्रतिशत अनसूचित जाति-जनजाति के कोटे में जोड़ा गया। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 और अन्य वर्गों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण पहले से दिया जा रहा था। इसके बाद नीतीश सरकार ने कोर्ट के किसी हस्तक्षेप से बचने के लिए कैबिनेट से पास कर बिहार संशोधित आरक्षण अधिनियम को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को अनुशंसा भेज दी। इस तरह उसने गेंद भाजपा के पाले में डाल दी है। आरक्षण बढ़ाने से लेकर नौवीं अनुसूची में शामिल करने के किसी भी प्रस्ताव का भाजपा ने विरोध नहीं किया, क्योंकि वह जानती है कि इसका उसे चुनाव में नुकसान होगा।

दूसरी ओर, विभिन्न जातियों के प्रतिष्ठित लोगों के नाम पर आयोजन कर जनता को साधने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस व राजद ने श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर बड़ा आयोजन किया। इसके बहाने भूमिहार को साधने की कोशिश की गई। पिछले दिनों भाजपा ने गोवर्धन महोत्सव का आयोजन किया। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि 21 हजार से अधिक यादव आज हमारे साथ शामिल हुए। हम एकजुट होकर अपराजित रहेंगे। केन्द्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि राजद ने पढ़े-लिखे यादवों को अवसरों से वंचित किया। यही कारण है कि राबड़ी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। यादव समुदाय को साधने के लिए चले गए इस दांव को लेकर लालू से लेकर तेजस्वी की तीखी प्रतिक्रिया आई। लालू प्रसाद यादव ने भाजपा पर यादवों के बीच विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया।

जदयू का भीम संसद
जातियों की राजनीति में जदयू भी किसी तरह से पीछे नहीं रहना चाहती। नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक कुर्मी व कोइरी को माना जाता है। इसका वोट खिसकता देख उन्होंने भी आयोजन का सहारा लिया है। पटना में भीम संसद का आयोजन किया गया। इसकी तैयारी की जिम्मेदारी जदयू के दलित नेताओं को दी गई। इन नेताओं ने राज्य के विभिन्न जिलों में जाकर सभाएं कीं। जनसंपर्क अभियान चलाया। इसके जरिए वह दलितों को जोड़ना चाहती है। मुख्यमंत्री ने ही भीम संसद रथों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। भीम संसद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की उनकी पुरानी मांग पर बड़ा अभियान आरंभ होने जा रहा है। इसलिए उन्हें सबका साथ चाहिए। उन्होंने यह संकल्प भी दिलाया कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने सामाजिक परिवर्तन की जो बुनियाद रखी, उसे आगे बढ़ाएंगे। इस तरह उन्होंने जदयू के चुनावी अभियान का एक तरह से इस कार्यक्रम के जरिए आगाज किया।

भीम संसद को भाजपा के सहजानंद सरस्वती की जयंती, यदुवंशी समाज मिलन समारोह सहित अन्य जातियों के साधने के लिए किए जा रहे आयोजन का जवाब माना जा रहा है। इस पर भाजपा नेता कहते हैं कि भीम संसद में कोई दलित या महादलित समाज का व्यक्ति जदयू से नहीं जुड़ेगा। भाजपा ने इसके जवाब में वीरांगना झलकारी बाई की जयंती पर पान-तांती रैली का आयोजन किया। इसके माध्यम से भाजपा अनुसूचितों को साधने की जुगत में है। सात दिसंबर को भाजपा बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर भी आयोजन की तैयारी में है।

धुरविरोधी को साध रहे लालू
दूसरी ओर, लालू राजद प्रमुख लालू यादव एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव धुरविरोधी समुदाय भूमिहार मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं। इसी के चलते बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर राजद प्रदेश मुख्यालय में भव्य आयोजन किया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पूर्व सांसद आनंद मोहन के दादा दिवंगत राम बहादुर सिंह की प्रतिमा का अनावरण कर राजपूत समाज को संदेश दिया था।

सतर्क भाजपा
विपक्षी एकता और इस तरह के आयोजनों से भाजपा पूरी तरह से सतर्क है। यही कारण है कि अमित शाह बीते एक वर्ष से राज्य में सक्रिय हैं। जदयू के अलग होने के बाद 10 महीने में पांचवां दौरा बीते पांच नवंबर को मुजफ्फरपुर में किया था। इससे पहले 16 सितंबर को मधुबनी के झंझारपुर में उनकी सभा हुई थी। 25 फरवरी को पश्चिम चंपारण के लौरिया में आए थे। दो अप्रैल को नवादा में उनका कार्यक्रम हुआ था। 29 जून को जदयू अध्यक्ष ललन सिंह के संसदीय क्षेत्र मुंगेर के लखीसराय में हुई थी। इस तरह भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। वह पिछले चुनावों की तुलना में 2024 के लोकसभा चुनाव को ज्यादा गंभीरता से ले रही है। वह हर एक लोकसभा सीट पर जातीय और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सर्वे करा रही है। इसमें कुछ सांसदों की रिपोर्ट अच्छी नहीं आई है। इसलिए कम से कम आधा दर्जन के करीब मौजूदा सांसदों का टिकट कटने की संभावना है।

Related Articles

Back to top button