नई दिल्ली : मणिपुर हिंसा से संबंधित 11 मामलों को प्रदेश की पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को ट्रांसफर कर दिया गया है। उनमें से तीन सामूहिक बलात्कार के मामले हैं। एक मामला सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट के द्वारा सार्वजनिक रूप से 56 वर्षीय महिला के निजी अंगों को लात मारने का भी है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उनमें से चार मामले भीड़ की हिंसा से संबंधित हैं। तीन मैतेई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ और एक कुकी समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्ज किया गया है।
3 मई के बाद से दोनों समुदायों के बीच झड़पों के कारण 25 जुलाई तक राज्य भर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में 6,523 एफआईआर दर्ज की गईं। कथित गैंगरेप के दो मामलों में अभी तक आरोपियों की पहचान नहीं हो पाई है। वहीं, एक मामले में अभी तक स्थान और समय का पता नहीं चल पाया है। तीसरे मामले में एक किशोर समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
सीआरपीएफ अधिकारी के खिलाफ एफआईआर पर भी अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है। इंफाल पश्चिम के सिंगजमेई में 56 वर्षीय महिला की शिकायत पर उनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। यह घटना 12 मई की है। अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
एफआईआर के मुताबिक, अधिकारी ने वर्दी पहनी हुई थी। जवान उनकी सुरक्षा कर रहे थे। अधिकारी ने टिडिम रोड पर अपने दुकान के सामने बैठी महिला को थप्पड़ मारा, मुक्का मारा और उसके निजी अंगों पर लात मारी। इसके अलावा उसके एक गार्ड ने उस पर अपनी सर्विस बंदूक भी तान दी। महिला के शरीर पर चोट लग गई। उसे उसके स्थानीय क्लब के सदस्यों द्वारा इलाज के लिए रिम्स अस्पताल ले जाया गया।
यह मणिपुर पुलिस द्वारा की गई जांच की स्थिति भी बताता है। इसमें कहा गया है कि शिकायतकर्ता समेत कुछ सार्वजनिक गवाहों से बात की गई है। इसके अलावा, इसमें यह भी कहा गया है कि पुलिस टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और निरीक्षण किया और कथित अपराध स्थल का एक कच्चा नक्शा तैयार किया है।