घर खरीदारों को लेकर SC का बड़ा फैसला, CBI करेगी बिल्डर्स और बैंकों के बीच साठगांठ की जांच

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से घर खरीदारों को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कल मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital region) में घर खरीदारों को ठगने के लिए बैंकों और डेवलपर्स के बीच सांठगांठ से जुड़े 22 केस दर्ज करने के लिए इजाजत दे दी है. इन मामलों में इस क्षेत्र के प्रमुख बिल्डर्स भी शामिल हो सकते हैं. जांच एजेंसी ने अन्य शहरों के बिल्डरों की जांच के लिए और समय भी मांगा है.
सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच को बताया कि जांच पूरी करने के लिए उसे और समय चाहिए. बेंच ने सीबीआई द्वारा की गई जांच पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए छह हफ्ते की और मोहलत दे दी. जांच के दायरे में दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के बिल्डर के अलावा उत्तर प्रदेश और हरियाणा के विकास प्राधिकरण भी शामिल हैं.
SC में 1200 से अधिक याचिकाएं
देश की सबसे बड़ी अदालत में 1,200 से अधिक घर खरीदारों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है, जिसमें इन लोगों ने दिल्ली-एनसीआर में अलग-अलग आवासीय परियोजनाओं में सबवेंशन स्कीम के तहत फ्लैट बुक कराए थे. नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में अलग-अलग आवासीय परियोजनाओं में फ्लैट बुक करने वाले इन याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि बैंक उन्हें ईएमआई का भुगतान करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जबकि उन्हें फ्लैटों का कब्जा नहीं मिला है.
सबवेंशन स्कीम के तहत, बैंक स्वीकृत धनराशि सीधे बिल्डरों के खातों में जमा करते हैं. बिल्डर्स तब तक ईएमआई का भुगतान करते हैं जब तक कि फ्लैट घर खरीदारों को नहीं सौंप दिए जाते. लेकिन बिल्डरों ने ईएमआई का भुगतान नहीं किया, और त्रिपक्षीय समझौते (Tripartite Agreement) के अनुसार, बैंक अब घर के खरीदारों से ईएमआई का भुगतान करने का दबाव बना रहे हैं.
10 दिन में रिपोर्ट पेश करने का आदेश
करीब 4 महीने पहले 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को एनसीआर क्षेत्र में आने वाले नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, यमुना एक्सप्रेसवे तथा गाजियाबाद में बिल्डरों और प्रोजेक्ट्स के मामलों में 5 प्रारंभिक जांच की अनुमति दी थी.
पिछले साल जुलाई में, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया था कि ईएमआई का भुगतान नहीं करने पर बैंक या बिल्डर्स घर के खरीदारों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकते और चेक बाउंस के मामलों में उनके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं की जाएगी.
लेकिन वकीलों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लोअर कोर्ट, खासकर गुड़गांव में, अभी भी घर खरीदारों के खिलाफ कड़े आदेश पारित कर रही हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुड़गांव के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को 10 दिनों के भीतर जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है.