पूर्वोत्तर भारत के पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक रूप से मान्यता दिलाने की पहल करेगा सीडीआरआई
लखनऊ: सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ और एफ़ईईडीएस-ईएमआरसी ने पारंपरिक ज्ञान के वैज्ञानिक सत्यापन (साइंटिफिक वेलीडेशन) के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. फाउंडेशन फॉर एन्वायरमेंट एण्ड इकोनोमिक डेवेलपमेंट सर्विसेज (एफ़ईईडीएस) हेंगबंग, मणिपुर में स्थित एक वैज्ञानिक सोसाइटी है (भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के जंगलों में उपलब्ध संभावित औषधीय पौधों के एथनो-मेडिसिनल रिसर्च-पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान-में संलग्न, जिसमें विशिष्ट पारंपरिक ज्ञान एवं विश्वास के आधार पर बीमारियों का इलाज किया जाता है). इस समझौते के तहत सीडीआरआई एवं एफ़ईईडीएस-ईएमआरसी, मणिपुरइस उद्देश्य पर एक साथ मिलकर काम करेंगे.
मणिपुर स्थित एफ़ईईडीएस–एथ्नो-मेडिसिनल रिसर्च सेंटर (ईएमआरसी) के साथ समझौता ज्ञापन पर किये हस्ताक्षर
समझौते के अनुसार एफ़ईईडीएस-ईएमआरसी, मणिपुरइन चिन्हित पौधों, जिनका अध्ययन दवा और फार्माकोग्नॉसी के उनके पारंपरिक ज्ञान के आधार पर किया जाना है, की बड़े पैमाने पर खेती करेगा और पादप सामग्री की आपूर्तिएवं उनका निष्कर्षण, रासायनिक लक्षणांकन तथा प्रारंभिक जैवसक्रियता का मूल्यांकन भी सुनिश्चित करेगा और पादप सामग्री की प्रस्तावित जैव-संभावना (बायो-प्रोस्पेक्टिंग) के लिए सलाह देगा. सीडीआरआई,एफ़ईईडीएस-ईएमआरसी द्वारा भेजे गए पादप सामग्रीऔर उनके सक्रिय घटकों के फाइटोकेमिकल डेटा के संग्रह के साथ उनके लोक-पारंपरिक ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन (प्रलेखन) की प्रामाणिकता का मूल्यांकन भी करेगा. इसके साथ पादप अर्कों (एक्स्ट्रेक्ट्स) के मानकीकरण की प्रक्रिया, उनका मूल्य संवर्धन (वेल्यू-एडिशन)हेतु उन्नत रासायनिक विश्लेषण करेगा.
सीडीआरआई प्रासंगिक रोगों जैसे कि मधुमेह, अस्थि-स्वास्थ्य, कैंसर और तंत्रिका संबंधी-विकारों हेतु प्रामाणिक पादप सामग्रियों का प्रीक्लिनिकलएवं फार्माकोलॉजिकल अध्ययन करेगा और प्रारंभिक परिणामों के आधार पर सीडीआरआई एवं एफ़ईईडीएस-ईएमआरसी चयनित पौधों एवं तत्संबंधी सामग्री के मूल्यांकन और प्रीक्लिनिकल विकास का निर्णय लेंगे. इस वैज्ञानिक सहयोग से सीडीआरआई सबको सुलभ स्वास्थ्य सेवा के अपने उद्देश्यों के अनुरूप बीमारियों के इलाज हेतु पूर्वोत्तरभारत के इस लोक-पारंपरिक ज्ञान की वैज्ञानिक रूपसे पुष्टि कर उसे मुख्यधारा में लाने में सहयोग करेगा.