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‘ताली एक हाथ से नहीं बजती’, CDS जनरल अनिल चौहान बोले – अगर क्षेत्र में स्थिरता चाहिए तो पाकिस्तान को भी सकारात्मक कदम उठाने होंगे

नई दिल्ली: भारत के (CDS) चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग 2025 में पाकिस्तान को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा कि दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सिर्फ भारत ही नहीं, पाकिस्तान को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

“ताली एक हाथ से नहीं बजती”: CDS चौहान
अपने संबोधन में जनरल चौहान ने कहा, ‘ताली एक हाथ से नहीं बजती है। अगर क्षेत्र में स्थिरता चाहिए तो पाकिस्तान को भी सकारात्मक कदम उठाने होंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्र में अशांति और आतंकवाद फैलाने की बड़ी वजह पाकिस्तान है, और उसे अब अपने रुख में बदलाव लाना होगा।

ऑपरेशन सिंदूर क्यों हुआ ज़रूरी?
CDS जनरल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ भारत की सीमा तय करने के लिए की गई थी। उन्होंने बताया कि बीते दो दशकों में पाकिस्तान की ओर से चल रहे आतंकवाद के कारण कई भारतीय सैनिक और नागरिकों की जानें गईं, जिससे भारत की सहनशक्ति खत्म हो गई थी। उन्होंने आगे कहा कि, भारत ने अब आतंकवाद के खिलाफ अपनी नई ‘रेड लाइन’ खींच दी है। उम्मीद है कि पाकिस्तान इस टकराव से कुछ सीखेगा और अपनी नीति बदलेगा।

300 किलोमीटर अंदर घुसकर हुआ था ऑपरेशन सिंदूर
जनरल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सीमा में 300 किलोमीटर भीतर तक घुसकर कार्रवाई की। इस दौरान स्वदेशी और मित्र देशों से प्राप्त आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया। यह भारत की मजबूत सैन्य क्षमता का उदाहरण था।

सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय, आगे की तैयारी
CDS ने बताया कि इस ऑपरेशन में थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ने मिलकर काम किया। इसमें इंटेलिजेंस, योजना और लॉजिस्टिक्स का साझा उपयोग हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन के दौरान जो कमियां सामने आईं, उनसे सीख लेकर अब भारत थिएटर कमांड तैयार करेगा। हालांकि, इसके पूरा होने की कोई निश्चित समय सीमा अभी नहीं तय की गई है।

आत्मनिर्भर भारत: रक्षा क्षेत्र में संतुलित सोच
सीडीएस ने यह भी स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता का मतलब यह नहीं कि भारत को हर हथियार खुद बनाना है। उन्होंने कहा कि इसका सही मतलब यह है कि, ”रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत को अपने मित्र देशों के साथ मिलकर काम करना होगा। साझेदारी और तकनीकी सहयोग ज़रूरी है।”

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