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युद्ध में भी नहीं रुकी थी जनगणना, अब हो रही रिकॉर्ड देरी : खड़गे

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने जनगणना और जातिगत जनगणना का विषय उठाया है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में मंगलवार को इस विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार जातिगत जनगणना और जनगणना जैसे महत्वपूर्ण विषय पर चुप्पी साधे हुए है।
खड़गे ने कहा कि विश्व युद्ध और भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी जनगणना का कार्य पूरा किया गया था, लेकिन आज इसमें विलंब हो रहा है। उन्होंने राज्यसभा को बताया कि कोरोना महामारी के बावजूद दुनिया के 81 प्रतिशत देशों ने जनगणना का काम पूरा कर लिया है। लेकिन भारत में जनगणना में रिकॉर्ड देरी हुई है।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमारे देश में हर 10 साल में होने वाली जनगणना पहली बार वर्ष 1881 में शुरू की गई थी। उन्होंने राज्यसभा में कहा कि तमाम विपरीत एवं आपात परिस्थितियों, जैसे कि युद्ध एवं दूसरे संकट में भी, जनगणना का काम जारी रहा। उन्होंने कहा कि वर्ष 1931 की जनगणना 26 जनवरी 1931 को शुरू हुई थी। यह जनगणना तब साल भर चली थी। उसी दौरान जातिगत जनगणना भी हुई थी।

खड़गे ने राज्यसभा में कहा कि इस दौरान महात्मा गांधी ने कहा था कि जैसे हमें अपने शरीर का पीरियोडिकल मेडिकल एग्जामिनेशन करना पड़ता है, ठीक उसी तरह किसी राष्ट्र की जनगणना, उस राष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण परीक्षण होता है। राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राष्ट्रीय जनगणना के काम में बड़ी संख्या में लोग लगते हैं। यह बहुत बड़े महत्व का काम होता है। जनगणना के माध्यम से काफी महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाए जाते हैं। इसके जरिए जनसंख्या, रोजगार के आंकड़े, परिवारों की स्थिति, सोशियो इकोनॉमिक कंडीशन समेत कई महत्वपूर्ण पैरामीटर की पड़ताल करनी होती है।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी जनगणना हुई थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वर्ष 1971-72 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के बावजूद जनगणना हुई थी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह बेहद दुख की बात है कि इतिहास में पहली बार सरकार ने जनगणना करने में रिकॉर्ड देरी की है। उन्होंने कहा कि यदि आप चाहे तो जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी संभव है।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आप एससी, एसटी के डाटा एकत्र करते ही हैं, इसके साथ ही अन्य जातियों के डाटा भी एकत्र किए जा सकते हैं। अपनी बात रखते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि लेकिन जातिगत जनगणना व जनगणना के विषय पर यह सरकार मौन है। उन्होंने सदन में जानकारी देते हुए बताया कि दुनिया के 81 प्रतिशत देशों ने इस बीच में कोरोना जैसी महामारी के बावजूद जनगणना का काम पूरा कर लिया है।

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