नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि मेडिकल की स्नातकोत्तर स्तर की कक्षाओं में दाखिले से संबंधित ‘नीट-पीजी’ में ऑल इंडिया कोटा के लिए अन्य पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों (आर्थिक रूप से कमजोर लोगों) के लिए आठ लाख रुपये की वार्षिक आय मानदंड पर फिर से विचार करेगी। इस दौरान काउंसलिंग की प्रक्रिया पर रोक रहेगी।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार ने आठ लाख रुपए के मापदंड पर फिर से विचार करने का फैसला लिया है। मेहता ने शीर्ष अदालत को सरकार के फैसले से अवगत कराते हुए समीक्षा के लिए चार सप्ताह का समय देने की गुहार लगाई।
पीठ ने उनकी यह मांग स्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई अब जनवरी में होगी और तब तक काउंसलिंग की प्रक्रिया स्थगित रहेगी। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से आठ लाख रुपए आय का मापदंड तय करने का ‘आधार’ बताने को कहा था लेकिन कई बार फटकार के बावजूद सरकार की ओर से कोई स्पष्ट राय नहीं रखी गई थी।