केंद्र व राज्य की सरकार को नहीं है प्रवासी मजदूरों की चिंता: मायावती
बसपा मुखिया फिर सरकार पर हमलावर, कहा, न्यायालय का सवाल पूछना राहत की खबर
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने एक बार फिर प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर केंद्र व राज्य सरकारों को कठघरे में खड़ा किया है। मायावती ने कहा है कि केंद्र व राज्य सरकारों को इनकी बिल्कुल भी चिन्ता नहीं है। उन्होंने न्यायालय द्वारा सरकारी अस्पतालों की बदहाली व निजी अस्पतालों की उपेक्षा तथा प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा व मौतों पर केंद्र व राज्य सरकारों से किए जा रहे सवालों को राहत की खबर करार दिया है।
बसपा मुखिया मायावती ने गुरुवार को ट्वीट किया है कि जिस प्रकार लॉकडाउन से पीड़ित व घर वापसी को लेकर मजबूर प्रवासी श्रमिकों की बदहाली व रास्ते में उनकी मौत आदि के कड़वे सच मीडिया के माध्यम से देश-दुनिया के सामने है। वह पुनःस्थापित करते है कि केंद्र व राज्य सरकारों को इनकी बिल्कुल भी चिन्ता नहीं है, यह अति दुखद है। एक अन्य ट्वीट में मायावती ने कहा है कि देश में लाकडाउन के आज 65वें दिन यह थोड़ी राहत की खबर है कि न्यायालयों ने कोरोना वायरस की जांच व इलाज में सरकारी अस्पतालों की बदहाली, निजी अस्पतालों की उपेक्षा व मौतों के सम्बन्ध में केंद्र व राज्य सरकारों से सवाल जवाब शुरू कर दिया है।
कांग्रेस पर भी लगातार निशाना साध रहीं मायावती
बसपा सुप्रीमों मायावती प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर लगातार भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी को भी घेर रही है। मायावती ने बुधवार को महाराष्ट्र में फंसे प्रवासी मजदूरों की दशा पर दो टवी्ट करके केद्र व महाराष्ट्र सरकार को घेरते हुए कहा कि केंद्र और महाराष्ट्र सरकार के बीच चल रहे विवाद में लाखों प्रवासी मजदूर बुरी तरह पिस रहे हैं। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि दोनों सरकारों को आरोप-प्रत्यारोप छोड़कर गरीबों, जरूरतमंदों की मदद पर ध्यान देना चाहिए।
कहा, कोरोना बढ़ाने में प्रवासी मजदूर जिम्मेदार नहीं, सरकार विफल
इससे पूर्व बसपा सुप्रीमो ने बीते रविवार को केंद्र व राज्य सरकारों पर कोरोना संक्रमण पर काबू पाने में हर मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा था कि देश में कोरोना मामलों के बढ़ने के लिए प्रवासी मजदूरों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों के कारण खड़ी हुई परेशानी को ठीक से संभालने में विफल रही। उन्होंने अपने प्रदेश पहुंचने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए 14 दिन की क्वारंटाइन अवधि के लिए बेहतर क्वारंटाइन सुविधाओं, भोजन व्यवस्था और स्थाई रोजगार की मांग भी की थी।