कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के हस्तक्षेप के बाद केंद्र सरकार के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से जुड़े बकाये को लेकर राज्य के साथ अपने विवाद को हल करने की संभावना है। राजभवन के सूत्रों ने यह जानकारी दी। राज्यपाल ने अभिषेक बनर्जी सहित तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं के साथ बैठक के बाद, उन्होंने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह से इस मुद्दे पर बात की। सिंह ने इसके बाद बकाए के भुगतान पर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए कार्रवाई करने का वादा किया।
सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों ने संकेत दिया कि बकाया राशि के जल्द ही जारी होने की संभावना है लेकिन इसे लेकर कोई समयसीमा नहीं दी गई। हालांकि बकाये का भुगतान कुछ शर्तों पर निर्भर करेगा जैसा की ऑडिट रिपोर्ट की प्रस्तुति। केंद्र सरकार ने पहले कहा था कि दिशा-निर्देशों का पालन न करने के कारण पश्चिम बंगाल में ग्रामीण रोजगार योजना के लिए धन को जारी नहीं किया गया था।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, ”केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन न करने के कारण मनरेगा, 2005 की धारा 27 के प्रावधान के अनुसार पश्चिम बंगाल राज्य की राशि 9 मार्च, 2022 से रोक दी गई है।” पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी ने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में प्रदर्शन किया था। साथ ही यहां राजभवन के बाहर धरना दिया था। दल ने धरना प्रदर्शन में ‘2,700 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया’ के भुगतान की मांग की थी।
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने 19 अक्टूबर को कहा था कि अगर राज्य के मनरेगा बकाये के संबंध में केंद्र से जवाब नहीं मिला तो पार्टी एक बड़ा आंदोलन शुरू करेगी तथा इस आंदोलन में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल होंगी।