–सुनील तिवारी
उत्तराखंड को एक बार फिर डबल इंजन का लाभ मिला है। महत्वाकांक्षी जमरानी बांध परियोजना को पिछले दिनों केंद्रीय कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने स्वीकृति प्रदान कर दी। परियोजना के निर्माण से नैनीताल जिले में हल्द्वानी शहर को 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध होगा। 1.50 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि र्को सिंचाई सुविधा मिलेगी। साथ में 63 मिलियन यूनिट बिजली भी मिलेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र सरकार के इस कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह बांध परियोजना हल्द्वानी व आसपास के क्षेत्र की पेयजल व सिंचाई की समस्या का समाधान करेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गत दिनों प्रधानमंत्री के साथ बैठकों में इस परियोजना की स्वीकृति के लिए लगातार अनुरोध करते रहे हैं। वर्ष 1975 से वित्त पोषण के अभाव में परियोजना का निर्माण प्रारंभ नहीं हो सका था। अब मुख्यमंत्री धामी के प्रयास सफल हुए हैं।
जमरानी बांध का निर्माण नैनीताल जिले में काठगोदाम से 10 किमी अपस्ट्रीम गौला नदी पर प्रस्तावित है। प्रधानमंत्री कृर्षि सिंचाई योजना (वृहद एवं मध्यम) के अंतर्गत 150.60 मीटर ऊंची जमरानी बांध परियोजना के वित्त पोषण को निवेश स्वीकृति एवं जल शक्ति मंत्रालय की स्क्र्रींनग कमेटी स्वीकृति प्रदान कर चुकी है। इन स्वीकृतियों के बाद जल शक्ति मंत्रालय ने वित्तीय स्वीकृति के लिए पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड, केंद्रीय वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय ने इसी वर्ष मार्च माह में पीआइबी की बैठक में सहमति व्यक्त की थी। केंद्र सरकार से इस परियोजना के लिए 1730.20 करोड़ की स्वीकृति पीएमकेएसवाई में 90 प्रतिशत केंद्रांश व 10 प्रतिशत राज्यांश के रूप में मिलना प्रस्तावित है। शेष धनराशि संयुक्त रूप से उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश की सरकारें एमओयू के अनुसार वहन करेंगी। जमरानी बांध परियोजना से प्रभावित 351.55 हेक्टेयर वन भूर्मि सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करने को अंतिम स्वीकृति केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जनवरी, 2023 में प्रदान की गई है। परियोजना प्रभावित परिवारों के विस्थापन को प्राग फार्म की प्रस्तावित 300.5 एकड़ भूमि का प्रस्ताव 18 मई, 2023 को पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल पारित कर चुका है। यह भूमि शीघ्र र्ही सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करने की कार्यवाही गतिमान है। इस कड़ी में अब जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट ने हरी झंडी दिखा दी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आशीर्वाद से उत्तराखंड में विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से विकास हो रहा है। विकास कार्यों के लिए केंद्र का सहयोग निरंतर प्राप्त हो रहा है। उन्होंने जमरानी बांध परियोजना की स्वीकृति प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार जताते हुए कहा कि राज्य के लिए यह परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने केंद्र के सहयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने हल्द्वानी में एचएमटी की बहुप्रतीक्षित 45.33 एकड़ भूमि राज्य सरकार को हस्तांतरित कर दी है। इस पर मिनी सिडकुल के निर्माण की योजना है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ व बदरीनाथ पुनर्निर्माण, मानसखंड मंदिर माला मिशन, किच्छा में एम्स का सेटेलाइट सेंटर, वंदे भारत, लखवाड़ जलविद्युत परियोजना, रोड कनेक्टिविटी समेत तमाम योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह राज्य के विकास में मील के नए पत्थर स्थापित कर रही हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी जमरानी बांध परियोजना की स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री के साथ ही मुख्यमंत्री धामी के प्रति आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह योजना जितनी बड़ी थी, उसे पूरा करने के लिए उतनी ही बड़ी राजनीतिक इच्छाशक्ति और आर्थिक क्षमता की जरूरत थी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस परियोजना की स्वीकृति देकर इसका निर्माण पूरा होने की तिथि भी तय कर दी है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने इस परियोजना की स्वीकृति को प्रधानमंत्री का राज्य को दीपावली का उपहार बताया। साथ ही कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि राजनीति के लिए परियोजना को लटकाने वालों की कोशिशों पर अब हमेशा के लिए विराम लग गया है। जमरानी बांध संघर्ष समिति के अध्यक्ष के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले कालाढूंगी विधायक एवं पूर्व मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि आज का दिन उनके लिए किसी सपने के पूरा होने जैसा है। उन्होंने समिति के आंदोलन में साथी रहे आंदोलनकारियों को भी शुभकामनाएं दी हैंर्। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज और राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल ने भी अलग-अलग बयानों में जमरानी बांध परियोजना की स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र्र सिंह शेखावत और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रति आभार व्यक्त किया है।
जमरानी बांध कब क्या हुआ
- 1975 में परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति संग 61.25 करोड़ रुपये मिले।
- 1981 में गौला बैराज, नहर व कालोनी निर्माण के ऊपर 25.24 करोड़ खर्च हुए।
- 1989 में 144 करोड़ की डीपीआर पर केंद्रीय वन मंत्रालय ने आपत्ति जताई।
- 2015 में जमरानी बांध प्रोजेक्ट की लागत बढ़कर 2350 रुपये तक पहुंची।
- 2018 में डीपीआर का संशोधन कर 2573 करोड़ का नया प्रस्ताव बना।
- 2019 में 2584.10 करोड़ रुपये की अंतिम डीपीआर पास की गई।
- जमरानी बांध के फायदे
- हल्द्वानी व आसपास के इलाके को पेयजल मिलेगा।
- 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन की क्षमता वाला पावर प्लांट लगेगा।
- उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में 34720 हेक्टेयर खेती र्को सिंचाई के लिए पानी।
- रामपुर व मुरादाबाद में 115582 हेक्टेयर खेती र्की सिंचाई के लिए पानी।