केंद्र सरकार ने मिड-डे मील स्कीम का नाम बदलकर ‘PM पोषण योजना’ किया, पोषण पर ज्यादा जोर
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्रों को पका भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री पोषण योजना या पीएम-पोषण योजना लॉन्च की और बताया कि अगले 5 सालों में इस पर 1,30,795 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस योजना को मौजूदा मिड-डे मील स्कीम (मध्याह्न भोजन योजना) के बदले लाया गया है. जिसमें सरकारी और सरकारी सहायता-प्राप्त स्कूलों की पहली कक्षा से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले सभी स्कूली बच्चों को शामिल किया गया है।
यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (CCEA) की बैठक में लिया गया. योजना के तहत देश भर के 11.20 लाख स्कूलों में पहली कक्षा से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले करीब 11.80 करोड़ बच्चे शामिल हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने फैसले के बाद एक बयान में बताया, “इस योजना को वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक 5 साल की अवधि के लिए जारी रखने की मंजूरी दी गई है. इसमें केंद्र सरकार 54,061.73 करोड़ रुपए और राज्य सरकार व केंद्रशासित प्रदेश 31,733.17 करोड़ रुपए का खर्च उठाएगी। इसके अलावा केंद्र सरकार खाद्यान्न पर करीब 45,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त लागत भी वहन करेगी। इस प्रकार योजना का कुल बजट 1,30,794.90 करोड़ रुपए होगा।”
सरकार ने बताया कि इस योजना को प्राथमिक कक्षाओं के सभी 11.80 करोड़ बच्चों के अलावा, पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं (प्री-स्कूल) या बाल वाटिकाओं में पढ़ने वाले छात्रों तक विस्तारित करने का प्रस्ताव है। फिलहाल ये छात्र योजना का हिस्सा नहीं हैं। इसके अलावा सरकार बच्चों को प्रकृति और बागवानी के साथ प्रत्यक्ष अनुभव देने के लिए स्कूलों में स्कूल पोषण उद्यानों के विकास को बढ़ावा देगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट के फैसले के बाद एक ट्वीट में कहा, ‘‘कुपोषण के खतरे से निपटने के लिए हम हरसंभव काम करने को प्रतिबद्ध हैं। पीएम-पोषण को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल का निर्णय बहुत अहम है और इससे भारत के युवाओं का फायदा होगा।’’
शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि राज्य सरकारों से आग्रह किया गया है कि रसोईयों, खाना पकाने वाले सहायकों का मानदेय डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से दिया जाए. इसके अलावा स्कूलों को भी डीबीटी के माध्यम से राशि उपलब्ध करायी जाए. अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने योजना के तहत बच्चों के खाने के मेन्यू को तय नहीं किया है और इसका फैसला राज्य सरकारें ही करेगी।
सरकार ने सभी जिलों में योजना का सोशल ऑडिट अनिवार्य कर दिया है. योजना के तहत स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्रियों और सब्जियों के आधार पर विशिष्ट संस्कृति से जुड़े खान-पान और नए मेन्यू को बढ़ावा देने को भी जोड़ने को कहा गया है। सरकार ने कहा है कि आकांक्षी जिलों और एनीमिया से ग्रसित जिलों में बच्चों को पूरक पोषाहार सामग्री उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रावधान किया गया है।