हिन्दू पंचांग का पहला महीना चैत्र, इस बार पूरे नौ दिन रहेंगे नवरात्र
नई दिल्ली : हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास 8 मार्च 2023, बुधवार से शुरू हो रहा है, जो 6 अप्रैल, शुक्रवार को समाप्त हो जाएगा। इस मास की शुरुआत गणगौर व्रत के साथ हो चुकी है। इसके अलावा इस मास में रंग पंचमी, शीतला सप्तमी, पापमोचनी एकादशी, भौमवती अमावस्या, झूलेलाल जयंती, मत्स्य जयंती, गुड़ी पड़वा, रामनवमी, चैत्र नवरात्रि, कामदा एकादशी जैसे बड़े व्रत त्योहार पड़ रहे हैं। मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने इस महीने की शुक्ल प्रतिपदा से सृष्टि की रचना करना शुरू की थी। पंचांग के अनुसार, जब अमावस्या के बाद चंद्रमा मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर प्रतिदिन एक-एक कला बढ़ता है और 15वें दिन चित्रा नक्षत्र में समाप्त हो जाता है। इसी के कारण चित्रा नक्षत्र के कारण इसे चैत्र मास कहते हैं।
चैत्र मास से शीत ऋतु खत्म हो जाती है और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। इस वजह से चैत्र माह से खान-पान और जीवन शैली में बदलाव कर लेना चाहिए। ऐसी चीजें खानी चाहिए, जो आसानी से पच जाती हैं। शरीर में पानी की कमी न हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
चैत्र महीने से हिन्दी पंचांग का नववर्ष शुरू होता है। 21 मार्च को चैत्र अमावस्या पर संवत् 2079 खत्म होगा और 22 तारीख से संवत् 2080 शुरू हो जाएगा। चैत्र में गणेश जी के लिए व्रत-उपवास करने की दूसरी चतुर्थी 25 मार्च को और पहली 10 मार्च को थी। विष्णु जी की भक्ति और पूजा-पाठ करने के लिए पहली एकादशी 18 मार्च को और दूसरी 1 अप्रैल को रहेगी।
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि का महत्व काफी अधिक है। इन तिथियों पर शीतला माता को ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है। चैत्र मास की अमावस्या 21 तारीख को है। इस दिन पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, धूप-ध्यान, दान-पुण्य आदि शुभ काम किए जाते हैं।
22 मार्च से चैत्र मास की नवरात्रि शुरू हो रही है। इसी दिन गुड़ी पड़वा है और नवसंवत् 2080 शुरू हो जाएगा। इस बार तिथियों की घट-बढ़ नहीं होने से नवरात्रि पूरे नौ दिन की ही रहेगी। श्रीराम का प्रकट उत्सव यानी श्रीराम नवमी 30 अप्रैल को रहेगी। इसी तिथि पर श्रीराम चरित मानस ग्रंथ की जयंती भी मनाई जाती है। 6 अप्रैल को हनुमान जी का प्रकट उत्सव और चैत्र पूर्णिमा है। इस महीने की पूर्णिमा तिथि पर चित्रा नक्षत्र रहता है, इसी वजह से हिन्दी पंचांग के पहले महीने का नाम चैत्र पड़ा है।
चार युगों में पहले सतयुग की शुरुआत चैत्र से ही मानी गई है। इस महीने में ही भगवान विष्णु ने पहला अवतार मस्त्य (मछली) के रूप में लिया था। मत्स्य अवतार ने सृष्टि के सभी प्राणियों को, राजा मनु, सप्त ऋषियों, सभी वेदों को जल प्रलय से बचाया था।