उत्तराखंड

हिमालय जैसी चुनौतियां ही हमारे दायित्व बोध का आधार हैं: पुष्कर सिंह धामी

पुष्कर सिंह धामी

4 जुलाई: 4 वर्षों पर विशेष

देवभूमि उत्तराखंड अपने आप में असीम संभावनाओं को समेटे हुए है। यहां की मेहनतकश जनता में यह सामर्थ्य है कि वह अपने प्रयासों से राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जा सके। इसी जनशक्ति की कोशिशों से सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का होगा, जिसमें राज्य विकास के नए कीर्तिमान गढ़ेगा। उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री रहते चार साल पूरे हो गए। इन चार साल की चुनौतियों, संघर्ष और उससे निबटने के लिए गए कड़े निर्णयों के बारे में एक आलेख खुद पुष्कर सिंह धामी की कलम से ।

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड सदैव राष्ट्रवाद भावना से ओत-प्रोत रहा है। देश की सुरक्षा एवं हिमालय की सुरक्षा में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रोमांच का अनुभव कराती है, तो हिमालय सरीखी चुनौतियां दायित्व बोध कराती रहती हैं। प्रदेश के मुख्य सेवक के रूप में जब चार वर्ष का अपना कार्यकाल पूर्ण कर रहा हूं तो ‘21वीं सदी का तीसरा दशक, उत्तराखंड का दशक है’, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह संकल्पयुक्त प्रेरक उद्बोधन मार्गदर्शक के रूप में उपस्थित है। 25 वां वर्ष पूरा करने की ओर बढ़ रहा उत्तराखंड अपने इसी कालखंड में जन आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका में होगा। चार वर्ष की अवधि में एक ऐसी मजबूत आधारशिला रखने का प्रयास किया गया है, जो आने वाले वर्षों में विकसित उत्तराखंड और विकसित भारत के सपने को साकार करने में बड़ी भूमिका निभाएगी।

राज्य की जिम्मेदारी संभालते ही सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश के युवाओं के वे सपने थे, जिन्हें बढ़ती बेरोजगारी, नकल माफिया चकनाचूर करने पर तुले थे। भर्ती परीक्षाओं में नकल ने युवाओं को इस प्रकार हतोत्साहित किया कि व्यवस्था पर दोबारा विश्वास बहाली आवश्यक हो गई थी। मुझे खुशी है कि उत्तराखंड ने देश का सबसे सख्त नकल रोकने का कानून बनाया। भर्ती परीक्षाओं में शुचिता सुनिश्चित की गई। युवाओं से किए गए वायदे पर जब नजर डालता हूं तो संतोष होता है कि चार वर्ष में 23 हजार से अधिक युवाओं को सिर्फ सरकारी क्षेत्र में नियुक्ति प्रदान की गई है।

रोजगार को शीर्ष प्राथमिकता में रखने का ही परिणाम है कि वर्ष 2021-22 में उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर 8.4 प्रतिशत से वर्ष 2022-23 में घटकर 4.9 प्रतिशत पर आई। विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं के माध्यम से युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयास भी उत्साहवर्द्धक हैं। नौ लाख से अधिक व्यक्ति बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं। यह संख्या आगे और बढ़ने वाली है।

पुष्कर सिंह धामी

मातृशक्ति का उत्थान, सम्मान और सुरक्षा हमारी सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। उत्तराखंड राज्य निर्माण में मातृशक्ति के योगदान का संकल्पित और सुनियोजित विस्तार अब राज्य के विकास के लिए हो, इस दिशा में हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। मातृशक्ति को सरकारी भर्तियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। महिला स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने को लखपति दीदी समेत अन्य कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। सहकारिता विभाग में भी महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। एकल महिला स्वरोजगार योजना के माध्यम से निराश्रित, परित्यक्त एवं विधवा महिलाओं के लिए उद्यमिता की राह तैयार की गई, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। महिला सशक्तीकरण की दिशा में आगे बढ़ते हुए सरकार शीघ्र ही महिला नीति लाने जा रही है।

महिलाओं को सशक्त बनाने की दृष्टि से समान नागरिक संहिता लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय हुआ है। 27 जनवरी, 2025 को समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश का पहला राज्य है। संहिता में मुख्य रूप से महिला अधिकारों के संरक्षण को केंद्र में रखा गया है। उत्तराखंड से प्रवाहित समान नागरिक संहिता की गंगा अब अन्य प्रदेशों को भी प्रेरित कर रही है। यह बताते हुए भी गर्व की अनुभूति हो रही है कि उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को क्षैतिज आरक्षण में आ रही बाधा समाप्त करने का अवसर हमें मिला। इससे राज्य आंदोलन के चिह्नित आंदोलनकारियों एवं उनके आश्रितों की नियुक्ति पर लटकी तलवार हट गई।

राज्य में औद्योगिक विकास हमारी प्रतिबद्धता है। यद्यपि, बड़े एवं भारी उद्योग पर्यावरणीय कारणों से उत्तराखंड में लगाए नहीं किए जा सकते, तथापि हमारा प्रयास मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म इकाइयों को अधिक संख्या में स्थापित करने का है। इस दृष्टि से वर्ष 2023 में दिसंबर माह में वैश्विक निवेशक सम्मेलन हुआ। इसमें 3.56 लाख करोड़ के एमओयू हस्ताक्षरित किए गए। इनमें से एक लाख करोड़ के प्रस्तावों की ग्राउंडिंग की जा चुकी है। उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियों काे सरल बनाया गया है।

पर्यटन को उद्योग बनाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। आने वाले समय में पर्यटन क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था को बड़ी शक्ति देगा, साथ में रोजगार के द्वार खोलेगा। दूरस्थ गांवों में सड़कों के साथ ही मूलभूत सुविधाओं का विस्तार तेजी से किया जा रहा है, इससे पर्यटन की गति में तेजी आएगी।

सरकार एक बड़ा काम प्राइमरी सेक्टर में करने जा रही है। अभी इस सेक्टर की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से कम है। कृषि, उद्यान, मत्स्य पालन और पशुपालन को केंद्र में रखकर महत्वाकांक्षी नीतियां प्रारंभ की हैं। जैविक और प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा देने का बड़ा लाभ मिल सकेगा। साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में बंजर हो रही खेती की भूमि का दोबारा उपयोग संभव होगा। प्राइमरी सेक्टर को मजबूती देने के लिए प्रौद्योगिकी की सहायता से नीतिगत बदलाव किया जा रहा है। हमारा यह उद्देश्य भी स्पष्ट है कि सेवा और सुशासन का लाभ आमजन तक पहुंचे।

इसके लिए जिलों से लेकर तहसील स्तर पर जन समस्याओं के निवारण को दिवस निर्धारित किए गए हैं। सीएम हेल्पलाइन 1905 जैसी आनलाइन सेवाओं के बल आम व्यक्ति की पहुंच मुख्यमंत्री तक और आसान हो गई है। भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का संदेश राज्य की जनता तक पहुंचा है। बड़े से बड़े अधिकारी को भी ऐसे मामलों में बख्शा नहीं जा रहा है।

सरकार ने जनहित में कड़े निर्णय लेने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। जनता ने जो विश्वास जताया है, उसे बनाए रखा है। प्रदेश में बनभूलपुरा में हुए दंगे के बाद सरकार ने ऐसा कड़ा कानून बना दिया है कि दंगा होने पर इससे होने वाले नुकसान की भरपाई दंगाइयों से की जाएगी। लव जिहाद हो या लैंड या थूक जिहाद, सरकार का संदेश एकदम स्पष्ट है, दोषियों पर तुरंत कार्रवाई होगी। वन भूमि के साथ सरकारी भूमि पर धार्मिक अवसंरचना तैयार कर अवैध कब्ज रोकने के लिए अत्यंत कड़ा कानून लागू किया जा चुका है। इसी प्रकार कड़ा भू-कानून बनाकर जमीन की खरीद में फर्जीवाड़ा एवं मनमाने ढंग से भूमि की खरीद पर अंकुश लगाया गया है।

प्रदेश की जनता को एक बार फिर आश्वस्त करता हूं कि उनके विश्वास को बनाए रखना सरकार की अनमोल पूंजी है। राज्य के सामने सामाजिक और आर्थिक विषमताओं को दूर करने के नए लक्ष्य और नए संकल्प हैं। प्रधानमंत्री जी ने हमें वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य दिया है। विकसित उत्तराखंड बनाकर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए हम सभी संकल्पित हैं।

(लेखक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हैं)

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