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चंद्रयान-3 धरती की आखिरी कक्षा में पहुंचा, लगाई एक और छलांग, जानें कितनी दूर चांद

नईदिल्ली : चंद्रयान-3 फिलहाल पृथ्वी के चक्कर काट रहा है। मंगलवार (25 जुलाई) को पांचवें मैनूवर के बाद, यह आखिरी कक्षा में पहुंच गया। ISRO के अनुसार, चंद्रयान-3 के 127609 km x 236 km ऑर्बिट में पहुंचने की उम्‍मीद है। ट्रांसलूनर इंजेक्‍शन (TLI) में अगली फायरिंग 1 अगस्‍त 2023 को रात 12 बजे से 1 बजे के बीच तय की गई है। धरती की कक्षा में पांचवें मैनूवर को बेंगलुरु के इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) में बैठे वैज्ञानिक अंजाम द‍िया गया। 1 अगस्त की रात को चंद्रयान-3 के पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चांद की ओर रवाना होने की उम्मीद है।

फिर यह चांद की कक्षा में पहुंच उसके चक्कर लगाना शुरू करेगा। चांद तक पहुंचने के लिए भी पांच मैनूवर होंगे। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया था। इसके 23 अगस्त तक चंद्रमा की सतह पर लैंड करने की संभावना है। धरती के चक्कर लगाता हुआ चंद्रयान-3 चंद्रमा के ऑर्बिट में एंट्री करेगा। चक्कर लगाता हुआ लैंडर मॉड्यूल 23 अगस्त को चांद की सतह पर उतरेगा। मिशन का यही सबसे क्रिटिकल फेज है। इस दौरान सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की जाएगी।

इसरो ने मंगलवार दोपहर 2.54 बजे बताया कि ‘चंद्रयान-3 का ऑर्बिट-रेजिंग मैनूवर (अर्थ-बाउंड फायरिंग) सफलतापूर्वक पूरा किया। अंतरिक्ष यान के 127609 किमी x 236 किमी की कक्षा प्राप्त करने की उम्मीद है। ऑब्‍जर्वेशन के बाद हासिल की गई कक्षा की पुष्टि की जाएगी। अगली फायरिंग, ट्रांसलूनर इंजेक्शन (टीएलआई), 1 अगस्त, 2023 को मध्यरात्रि 12 बजे से 1 बजे IST के बीच करने की योजना है।’

चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है। मिशन में चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचना, लैंडर का उपयोग करके चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग करना’ और चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए लैंडर से एक रोवर का निकलना और फिर इसका चंद्रमा की सतह पर घूमना शामिल है।

दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन सकता है भारत23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। सॉफ्ट लैंडिंग का मतलब है पूरे नियंत्रण के साथ सतह पर सुरक्षित उतारना। अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा। यह लैंडिंग इसलिए भी खास होगी कि चंद्रमा का यह हिस्सा अब तक इंसान की नजरों से छिपा रहा है। अब तक रूस, अमेरिका और चीन चंद्रमा पर बेशक अपने यान उतार चुके हैं मगर वह चांद के दूसरे हिस्सों में किया गया था।

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