नई दिल्ली : सावन का महीना चल रहा है. यह पवित्र महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. शिवजी आदि, अनादि और अनंत हैं. उन्हें संहार का अधिपति कहा जाता है, लेकिन वे सृजन और पालन का कारण भी हैं. शिवजी आशुतोष हैं और भक्तों की मनोकामना बहुत जल्दी पूरी करते हैं. उनके मंत्र अगर सामान्य रूप से भी जपे जाएं तो कल्याण होता है. इनके मंत्रों और स्तुतियों का विधिपूर्वक जाप करने से किसी भी तरह की कामना पूरी की जा सकती है.
भोलेनाथ की स्तुतियां अत्यंत विशेष और लाभकारी मानी जाती हैं. उनकी स्तुतियां सामान्यतः छंदात्मक हैं. उनके अलग-अलग स्वरूपों के लिए अलग स्तुतियों की रचना की गई है. विशेष स्थितियों में इनकी स्तुतियों का प्रभाव अचूक होता है. हर स्तुति के पाठ से पहले संबंधित स्वरूप का ध्यान कर लेना चाहिए.
“नमः शिवाय” शिवजी का पंचाक्षरी मंत्र है. यह पांच तत्वों की शक्ति से भरा हुआ है. इस मंत्र के निरंतर जप से शिव कृपा अवश्य मिलती है. इसी मंत्र का षडाक्षर स्वरूप है. “ॐ नमः शिवाय” जन कल्याण या दूसरों के कल्याण के निमित्त इस मंत्र को पढ़ना चाहिए.
इस मंत्र का जप असाध्य रोगों से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है. इस मंत्र में महामृत्युंजय स्वरूप में भगवान शिव, अमृत का कलश लेकर भक्त की रक्षा करते हैं. इस मंत्र का लघु चतुराक्षरी स्वरूप है. “ॐ हौं जूं सः”. इसका जप निरंतर किया जा सकता है.
मृत संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र है- “ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूर्भवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात| स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ।”. जब मृत्यु जैसी स्थिति हो, तब इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है.
शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव के परम भक्त रावण द्वारा की गई एक विशेष स्तुति है. यह स्तुति छन्दात्मक है और इसमें बहुत सारे अलंकार हैं. किसी भी कठिनतम स्थिति में इस स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है. अशुभ ग्रहों की दशा में इसका पाठ विशेष लाभकारी होता है. अगर नृत्य के साथ इसका पाठ करें तो सर्वोत्तम होगा. पाठ के बाद शिव जी का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना करें.
यह स्तोत्र महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित है. इसका पाठ करने से दरिद्रता का नाश होता है. अगर आर्थिक स्थिति ख़राब हो तो इसका पाठ अवश्य करें. इसका पाठ दोनों वेला करना चाहिए. इसके पाठ के साथ सात्विकता बनाए रखना जरुरी है.
भगवान शिव के मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करना उत्तम होता है. मंत्र जाप अगर प्रदोष काल में किया जाए तो सर्वोत्तम होगा. मंत्र जाप करने से पहले शिवजी के कल्याणसुंदरम स्वरूप का ध्यान करना चाहिए. शिव जी के मंत्रों से किसी को नुकसान पंहुचाने का प्रयास न करें.