छत्तीसगढ़

प्रदेश के गौठानों में यादवों को नौकरी पर नहीं रखने से नाराज हुआ छग यादव समाज

रायपुर: राज्य सरकार के द्वारा प्रदेश भर में गौठानों का निर्माण किया गया है लेकिन इन गौठानों में यादवों को नौकरी नहीं दिया गया इससे छत्तीसगढ़ यादव समाज के लोग नाराज है और वे सरकार से मांग कर रहे है कि इन गौठानों में उन्हें नौकरी दिया जाए तथा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में यादव समाज के भवन के लिए 25-25 लाख रुपये स्वीकृत किया जाए और नया रायपुर में पांच एकड़ भूमि का आबंटन किया जाए। पत्रकारों से चर्चा करते हुए छत्तीसगढ़ यादव समाज के प्रांतीय अध्यक्ष सुधीर यादव ने कहा कि प्रत्येक यादव के यहां एक गौमाता जरुर होना चाहिए क्योंकि गौमाता ही यादवों की पहचान है। पांच फरवरी, रविवार को होने वाले युवक-युवती परिचय सम्मेलन व सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित होने वाले कृषि मंत्री को ज्ञापन के माध्यम से इस संबंध में वे अपनी मांग पत्र सौंपेंगे।

सुधीर ने बताया कि संस्था प्रदेश के 30 लाख यादवों कास प्रतिनिधित्व करती है और समाज में शिक्षा का प्रचार-प्रसार होने से सामाजिक परंपराओं में भी परिवर्तन होने लगा है। अब नयी पीढ़ी अपनी पसंद से जीवन साथी चुनने लगे है यह एक सकारात्मक परिवर्तन है। इन्हीं सबको देखते हुए छत्तीसगढ़ यादव समाज 5 फरवरी को शहीद स्मारक भवन में युवक-युवती परिचय सम्मेलन का आयोजन करने जहा रहा है जिसमें जो जोड़ों का आदर्श विवाह भी संपन्न होगा और इन्हें आशीर्वाद प्रदान करने के लिए मुख्य अतिथि के रुप में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, अध्यक्षता छग यादव समाज के प्रांतीय अध्यक्ष सुधीर यादव, विशेष अतिथि के रुप में विधायक सत्यनारायण शर्मा, विकास उपाध्याय, कुलदीप जुनेजा, संनि.कर्म.क.म. के अध्यक्ष सुशील अग्रवाल, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष पंकज शर्मा व रायपुर महापौर एजाज ढेबर उपस्थित रहेंगे।

सुधीर ने पत्रकारों के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश में संचालित हो रहे गौठानों से पूरा यादव समाज नाखुश है क्योंकि इन गौठानों का संचालन कहीं स्व सहायता समूह तो कहीं पर अन्य समूहों के द्वारा किया जा रहा है। पूरा यादव समाज चाहता है कि इन गौठानों का संचालन यादव के लोगों को नौकरी पर रखकर किया जाए क्योंकि गाय चराने से लेकर गोबर उठाने तक का वे काम करते हैं। इसके अलावा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में यादव चारवाहों को चिन्हांकित कर न्यूनतम मानदेव पांच हजार रुपये निर्धारित किया जाना चाहिए।

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