कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को ज्यादा खतरा, माता-पिता को आखिर क्या करना चाहिए?
मुंबई के उपनगरीय इलाके में रहने वाले 11 वर्षीय आयुष (बदला हुआ नाम) की इसी महीने सांस फूलने और सीने में तकलीफ की शिकायत के बाद मौत हो गई थी. उसका इलाज शहर के एक अस्पताल में चल रहा था, जहां डॉक्टरों ने शुरुआती जांच के बाद माता-पिता को बताया था कि बच्चे को पहले भी कोरोना संक्रमण हुआ है, जिससे उसके फेफड़े काफी क्षतिग्रस्त हो गए हैं. माता-पिता के लिए यह खबर हैरान करने वाली थी.
उन्होंने डॉक्टर को बताया कि उनके बच्चे का एक महीने पहले सर्दी और खांसी का इलाज किया गया था और दवा लेने के बाद वह स्वस्थ भी हो गया था. माता-पिता समझ नहीं पा रहे थे कि बच्चा कोरोना से कैसे पीड़ित हो सकता है. जब बच्चे ने ज्यादा बेचैनी की शिकायत की तभी उसे भर्ती कराया गया.
इन दिनों कोरोना महामारी को देखते हुए माता-पिता अपने बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि तीसरी लहर आने वाली है और सबसे ज्यादा बच्चों पर असर कर सकती है. ऐसे में माता-पिता जानना चाहते हैं कि अब उन्हें ऐसे मौके पर क्या करना चाहिए और किस तरह अपने बच्चों को तीसरी लहर से बचाना चाहिए. मुंबई के रहने वाले समीर ने कहा कि जब उनका बच्चा खेलने के लिए बाहर जाता है तो वह ज्यादा सतर्क रहते हैं. वह एक-दो महीने से फिर से अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए बाहर जाने लगा है.
उन्होंने कहा, ”बच्चे के बाहर जाने से पहले मैं सुनिश्चित करता हूं कि वह दो मास्क पहने. साथ ही मैं यह देखने के लिए हर समय उसके आसपास रहता हूं कि वह रास्ते में किसी चीज को न छुए. अगर मैं किसी को खांसते या छींकते हुए देखता हूं तो मैं अपने बच्चे को उस जगह से दूर ले जाता हूं. अगर मैं उनके दोस्तों को मास्क उतारते हुए देखता हूं तो मैं उन्हें सख्ती से इसे वापस लगाने के लिए कहता हूं. यह स्वास्थ्य और सुरक्षा के बारे में है इसलिए मैं समझौता नहीं किया जा सकता.”
एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि किसी भी बच्चे के भीतर बुखार या अन्य लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे तुरंत बच्चों के डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए. ‘आजतक/इंडिया टुडे’ से बात करते हुए मुंबई के भाटिया अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर डॉ. विनीत समदानी ने बताया कि बच्चों को सुरक्षित रखने का सिर्फ SMS (सैनिटाइजेशन, मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग) ही एक तरीका है. उन्होंने कहा, ”मेरी समझ से तीसरी लहर पहले से ही रास्ते पर है. बच्चों पर सीरो कन्वर्जन 58 से 60 फीसदी था. इस समय बच्चों में कोविड के मामलों की तुलना में डेंगू और इन्फ्लूएंजा के मामले बहुत अधिक हैं. अगर हमने अभी खुद को प्रतिबंधित नहीं किया तो निश्चित रूप से कुछ ही दिनों में कोरोना अन्य बीमारियों को मात दे देगा.”