चीन ने 53 देशों में बनाए 102 गुप्त पुलिस स्टेशन, बनता जा रहा बड़ा खतरा
नईदिल्ली : दुनिया के अलग-अलग देशों में चीन के गुप्त पुलिस स्टेशन सुरक्षा के लिहाज से नया खतरा बनते जा रहे हैं। स्पेन स्थित मानवाधिकार ग्रुप सेफगार्ड ने सितंबर 2022 में पहली बार इसका खुलासा किया था। इसमें बताया कि चीनी प्रवासी पुलिस स्टेशन (COPS) 5 महाद्वीपों में ऑपरेट हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 53 देशों में लगभग 102 ऐसे स्टेशन चल रहे हैं। COPS का नेटवर्क चीन स्थित पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो (PSB) की ओर से 2016 में स्थापित किया गया था। वे सूचना इकट्ठा करने, ऑपरेशन्स को प्रभावित करने और दमनकारी गतिविधियों में शामिल हैं। इनका टारगेट विदेशों में अपराधियों, धोखेबाजों, भ्रष्ट अधिकारियों, राजनीतिक विरोधियों और असंतुष्टों जैसे कि तिब्बतियों, उइगरों व चीन विरोधी आवाज को दबाना है।
वे ऐसे लोगों को स्वदेश वापस लाने के लिए यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट (UFWD) से जुड़े लोकल चीनी ओवरसीज होम एसोसिएशन का इस्तेमाल करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने अपने विदेशी चीनी विभाग को UFWD में मिला दिया। चीनियों को विदेशों में मुखबिर के तौर पर नियुक्त करने के मकसद से ऐसा किया गया। ओवररीच COPS कुछ अलग तरह का ग्रुप है। इसके सदस्य अलग-अलग जगहों पर भिन्न होते हैं जिसमें पूर्व पुलिस अधिकारी या डायस्पोरा के हाई-रैंकिंग के मेंबर होते हैं। वे स्थानीय दुकानों, रेस्तरां, मॉल या अपार्टमेंट में रहते हुए अपना काम करते हैं। साथ ही चीनी दूतावास से बिना कोई संपर्क रखे छोटे कानून फर्मों जैसे बाहरी प्रतिनिधित्व की मदद से भी टास्क निपटाते हैं।
COPS को मुख्य रूप से विदेशों में रहने वाले चीनियों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। हालांकि, अब ये दुनिया भर के लिए सुरक्षा खतरा बनते जा रहे हैं। कोरोना महामारी और चीन विरोधी बढ़ती भावनाओं के बीच PSBs की ओर से इनका विस्तार किया गया, जो फॉक्स हंट ऑपरेशन को अंजाम देता है, जिसका मकसद चीनी भगोड़ों को स्वेच्छा से लौटने के लिए दबाव बनाना है। PSB विदेशी शहरों में पहले एक सेंटर-लेवल स्टेशन स्थापित करता है और फिर शहर के आस-पास के हिस्सों में छोटे स्टेशन बनाए जाते हैं। वे ‘सर्विस स्टेशन’ और ‘संपर्क पोस्ट’ में विभाजित हैं। सर्विस स्टेशन अधिक मायने रखते हैं, जिसका नेतृत्व विदेशी चीनी समुदाय के किसी लीडर की ओर से किया जाता है, जो कि CCP के प्रति वफादार होते हैं। वहीं, संपर्क पोस्ट्स की संख्या अधिक होती है और ये लो-प्रोफाइल वाले तरीके से काम करते हैं। कुछ स्टेशन प्रोपेगेंडा और टैलेंट रिक्रूटमेंट का काम करते हैं।
इस तरह के ऑपरेशन के तौर-तरीके अलग-अलग देशों में भिन्न होते हैं। जैसे कि म्यांमार, कंबोडिया और अफ्रीका व दक्षिण अमेरिका के कुछ देश ऐसे हैं, जहां चीनियों का मजबूत प्रभाव है। ये इस तरह के ऑपरेशन का समर्थन करते हैं। अफ्रीका में दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, मोजाम्बिक, जाम्बिया आदि…. एशिया में कंबोडिया, सर्बिया, क्रोएशिया, रोमानिया और इटली ने इस तरह के ऑपरेशन में सहयोग के लिए समझौते किए हैं। अमेरिकी कांग्रेस-कार्यकारी आयोग (CECC) ने आरोप लगाया है कि इस तरह के ऑपरेशन में इंटरपोल की भी चीन के साथ मिलीभगत है। इसी तरह, ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) का भी इस तरह के ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किया गया है।