नई दिल्ली ( विवेक ओझा) : चीन से प्रभावित होकर प्रशांत महासागर के द्वीपीय देश नौरू ( Nauru ) ने ताइवान के साथ अपने कूटनीति संबंध खत्म कर दिए हैं । चीन लगातार पेसिफिक ओसियन के आईलैंड देशों को अपने प्रभाव में लेने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए वह फिजी , सोलोमन द्वीप, किरिबाती, नौरू, मार्शल आयरलैंड जैसे देश को ऋण सुविधा देने का प्रस्ताव करता है।
पिछले साल सोलोमन द्वीप चीन के काफी प्रभाव में रहा, अब दक्षिण प्रशांत महासागर देश ( South pacific island nation) नौरू भी इसी प्रभाव में दिख रहा है। ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न होने के कुछ ही रोज बाद नौरू ने ताइवान से डिप्लोमेटिक संबंध तोड़ने का फैसला किया है। नौरू अब ताइवान के साथ कोई आधिकारिक संबंध नहीं रखेगा। वहीं चीन के साथ वह पूर्ण कूटनीतिक संबंध की बहाली करेगा।
नौरू ने अपने आधिकारिक वक्तव्य में कहा है कि वह एक स्वतंत्र और संप्रभु देश है और अन्य राष्ट्रों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध अपनी इच्छानुसार रखेगा।
चीन से भिड़ भी चुका है नौरू: 12,000 लोगों के इस देश ने 18 पैसेफिक सदस्य देशों से जुड़े एक कार्यक्रम की मेजबानी की थी। इसमें चीन और अमेरिका जैसे गैर-सदस्य देश भी शामिल हुए थे। विवाद तब हुआ जब नौरू के राष्ट्रपति बारोन वाका ने चीन के प्रतिनिधि-मंडल के प्रमुख को बोलने का मौका नहीं दिया था । चीनी प्रतिनिधि-मंडल के प्रमुख ने एक और सदस्य देश तुवालु के पीएम से पहले बोलने की मांग की थी जिसे खारिज कर दिया गया था। नाउरु का कहना है कि चीन के प्रतिनिधि-मंडल प्रमुख का स्वाभाव बेहद आपत्तिजनक था।
आपको बता दें कि नाउरु और तुवालु वो दो देश हैं जिनके ताइवान के साथ राजनयिक संबंध हैं। ताइवान के साथ दोनों देशों के राजनयिक संबंध चीन के लिए असहजता का बड़ा कारण है, क्योंकि ताइवना को चीन अपना हिस्सा मानता है और अपनी इस धारणा को पूरा करने के लिए वो बल का इस्तेमाल करता आया है और आगे की इसकी आशंका बनी हुआ है।