अन्तर्राष्ट्रीय

वियतनाम के ब्रह्मोस खरीदने पर चीन ने लगाया ग्रहण! दक्षिण चीन सागर में भारत की बढ़ी टेंशन

बीजिंग: फिलीपींस के बाद वियतनाम के भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन, अब इस संभावना पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। इसकी वजह चीन (China) बना है। दरअसल, चीन और वियतनाम ने दोनों देशों को कनेक्ट करने वाली रेलवे लाइन से लेकर मगरमच्छों के निर्यात कर कुल 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। ये समझौतें वियतनामी राष्ट्रपति टो लैम के चीन दौरे पर किए गए हैं। हालांकि, चीन और वियतनाम हमेशा से अच्छे पड़ोसी नहीं रहे हैं। दोनों देशों के बीच 1979 में लगभग एक महीने का युद्ध भी हो चुका है।

टो लैम इस महीने की शुरुआत में ही पार्टी प्रमुख नियुक्त हुए थे। इसके बाद उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चीन को चुना। इसे दोनों कम्युनिस्ट पड़ोसियों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने के साथ-साथ दक्षिण चीन सागर विवाद के बावजूद संबंधों को मजबूत करने के तौर पर देखा जा रहा है। इस दौरान शी जिनपिंग ने कहा, “चीन ने हमेशा अपने पड़ोस की कूटनीति में वियतनाम को प्राथमिकता दी है, और पार्टी नेतृत्व का पालन करने, अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकूल समाजवादी मार्ग अपनाने और सुधारों और समाजवादी आधुनिकीकरण के उद्देश्य को गहरा करने में वियतनाम का समर्थन करता है।”

लैम ने भी चीन की जमकर तारीफ की। उन्होंने अपनी यात्रा को चीन के साथ संबंधों को महत्व देने के लिए पार्टी और वियतनामी सरकार की पुष्टि कहा। इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों ने रेलवे लाइन की योजना और उसकी व्यवहार्यता अध्ययन पर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। इस मामले में प्रारंभिक समझौता दिसंबर में शी जिनपिंग की वियतनाम यात्रा के दौरान किया गया था। इसमें दोनों देशों को जोड़ने वाली तीन रेलवे लाइनों को बिछाने की परियोजना शामिल हैं। चीन और वियतनाम ने 1950 में राजनयिक संबंध बनाए और 2008 में सहयोग की एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की।

चीन के साथ वियतनाम के संबंधों ने भारत की टेंशन बढ़ा दी है। वियतनाम के नए नेता बने टो लैम को चीन समर्थक माना जाता है। उनके शासनकाल में वियतनाम और चीन के संबंध सुधरने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में वियतनाम को ब्रह्मोस मिसाइल बेचना भारत के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। भारत नहीं चाहेगा कि ब्रह्मोस की टेक्नोलॉजी तक चीन की पहुंच हो। वियतनाम ने पहले चीन का मुकाबला करने के लिए ही भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने का फैसला किया था। उसने ब्रह्मोस की खरीद को लेकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस के साथ बातचीत भी की थी।

Related Articles

Back to top button