अन्तर्राष्ट्रीय

चीन ने 10 जगहों पर हड़पी नेपाली जमीन, हिंदुओं को मंदिर जाने पर भी लगाई रोक-रिपोर्ट

नेपाल: नेपाल की पिछली कम्युनिस्ट सरकार पूरी तरह से चीन की गोद में बैठी थी, जिसके नतीजे अब सामने आ रहे हैं। नेपाल सरकार की एक सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि चीन एक-दो नहीं कम से कम 10 जगहों पर उसकी जमीन को अपनी सीमा में मिला चुका है। रिपोर्ट में यह तक बताया जा रहा है कि कुछ इलाकों में तो चीन इतनी दादागीरी पर उतर आया है कि हिंदुओं और बौद्धों को मंदिरों तक जाने से भी रोक रहा है। लेकिन, हैरानी की बात है कि नेपाल की तमाम सरकारें इस मसले पर संदिग्ध चुप्पी साधे रही हैं और चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार अपने खौफनाक इरादों को अंजाम देने में जुटी हुई है।

चीन ने सलामी स्लाइिसिंग की अपनी रणनीति पर चलते हुए नेपाल की उत्तरी सीमा पर बहुत बड़ा खेल कर दिया है। चीन ने नेपाल के उत्तरी बॉर्डर पर कम से कम 10 स्थानों पर नेपाली जमीन पर कब्जा कर लिया है। नेपाली कृषि मंत्रालय की ओर से जारी सर्वे दस्तावेजों के मुताबिक चीन 36 हेक्टेयर नेपाली जमीन को अपने हिस्से में मिला चुका है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने विभिन्न माध्यमों से जो जानकारी उपलब्ध की है, उसके मुताबिक नेपाली गृह मंत्रालय भी अब इस नतीजे पर पहुंचा है कि सीमा मुद्दे को नेपाल की ‘स्टेट पॉलिसी’ के रूप में आवश्यक तौर पर शामिल करना होगा। शायद चीन नेपाल के साथ अचानक से इस तरह की साजिशें नहीं कर रहा है, लेकिन पता नहीं नेपाल के लोग अबतक इस समस्या की भयानकता को समझने में देर करते रहे हैं।

चीन लगातार नेपाल की जमीन पर कर रहा है कब्जा-रिपोर्ट
2016 में चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) ने नेपाल के एक जिले में घुसकर पशुपालन के लिए पशु चिकित्सा केंद्र तक बना लिया था, लेकिन तब नेपाल ने उसका माकूल जवाब नहीं दिया। 2022 के फरवरी में एक यूके स्थित मीडिया की रिपोर्ट थी कि उलटे चीन ने नेपाल पर साझा सीमा वाले क्षेत्र में अतिक्रिमण करने का आरोप लगा दिया था। आधिकारिक दस्तावेजों पर आधारित एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने नेपाल के पश्चिमी जिले हुमला में बॉर्डर पोस्ट के आसपास नहरें और सड़कें बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने लालुंग्जोंग सीमा इलाके में सर्विलांस की गतिविधियां भी बढ़ा रखी हैं।

एक चौंकाने वाला खुलासा तो ये हुआ है कि चीन अब नेपाल की सीमावर्ती इलाकों में ना सिर्फ किसानों को मवेशी चराने से रोक रहा है, बल्कि बॉर्डर पर स्थित हिंदू और बौद्ध मंदिरों तक भी नहीं पहुंचने दे रहा है। नेपाल पर चीन के बढ़ते प्रकोप का अंदाजा इसी से लग जाता है कि उसके 15 जिलों में से सात से ज्यादा किसी ना किसी वजह से चीन की ओर से हो रहे जमीन अतिक्रमण से पीड़ित हैं। इन जिलों में दोलखा, गोरखा, दारचुला, हुमला, सिंधुपालचौक, संखुवासा और रसुवा जिले शामिल हैं। नेपाल के रुई गांव पर चीनी कब्जे की खबर एक बार खूब सुर्खियां बनी थी और पता चला था कि ड्रैगन अपनी सलामी स्लाइसिंग नीति को कैसे अंजाम देने में लगा रहा है। हुमला में 2020 के सितंबर में तो उसने स्थायी निर्माण भी खड़े कर दिए थे। पता चला था कि चीन ने चोरी से सीमा निर्धारिण के लिए बने पिलर हटा दिए थे। तब नेपाल में चीन समर्थक कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार थी।

हालांकि, ऐसा नहीं है कि चीन नेपाल में अपनी सलामी स्लाइसिंग नीति को पिछले दो-तीन वर्षों से अंजाम देने लगा है। चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार इस गोरखधंधे में वर्षों से लगी हुई है। 2009 में चीन की सेना के जवान ‘एक खुले इलाके में घुस गए थे और वेटनरी सेंटर’ बना लिया था। हिमालयन टाइम्स के मुताबिक 2017 का कृषि विभाग का एक दस्तावेज बताता है कि ‘चीन ने उत्तरी सीमा पर 10 स्थानों पर नेपाल के 36 हेक्टेयर पर अतिक्रमण किया है।’ वैसे 2020 में एक ब्रिटिश अखबार ने अपनी जांच में पाया था कि चीन हुमला समेत नेपाल के पांच जिलों में 150 हेक्टेयर नेपाली जमीन हड़प चुका है।

चीन की सलामी स्लाइसिंग पर नेपाली नेताओं की चुप्पी की वजह ?
हुमला के सांसद चक्का बहादुर लामा ने भी चीन की कारगुजारियों पर चिंता जताई थी और सितंबर 2020 में काठमांडू स्थित चीनी दूतावास के बाहर उसकी जमीन हड़पने की नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुआ था। वैसे रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा तो करते हैं कि नेपाल का विदेश मंत्रालय इन मुद्दों को चीन के सामने उठा चुका है, लेकिन आम धारणा यही है कि नेपाल कूटनीतिक तौर पर इस विषय पर शांत है। मीडिया दबाली के मुताबिक यह चुप्पी सिर्फ चीन की पिछलग्गू कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने ही नहीं साधी है, बल्कि निवर्तमान नेपाली कांग्रेस का भी इस मामले में ऐसा ही रवैया है।

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