चीन के विदेश मंत्रालय ने दक्षिण चीन सागर में स्पार्टली और परासेल पर वियतनाम के दावे को किया खारिज
नई दिल्ली ( विवेक ओझा) : दक्षिण चीन सागर विवाद जिसे नाइन डैश लाइन विवाद भी कहते हैं, एक बार फिर सुर्खियों में है। चीन के विदेश मंत्रालय ने वियतनाम के स्पार्टली और परासेल द्वीपों पर दावे को खारिज करते हुए कहा है कि चीन का इन द्वीपों पर द्वारा ऐतिहासिक साक्ष्यों से सिद्ध है। वहीं वियतनाम का भी कहना है कि उसके पास इन द्वीपों पर अपनी संप्रभुता के पर्याप्त साक्ष्य हैं। इन दोनों द्वीपों को वियतनाम में क्रमशः होआंग सा ( Hoang sa) और ट्रांग सा ( Trong sa) के नाम से जानते हैं और ये दक्षिण चीन सागर में स्थित हैं जो प्रशांत महासागर का भाग है। इस ग्लोबल मैरीटाइम वॉटरवे के लगभग पूरे हिस्से पर चीन अपना दावा करता है।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण चीन सागर विवाद दुनिया के सबसे बड़े महासागरीय विवाद के रूप में माना जाता है । चीन के दक्षिण में स्थित सागर जो प्रशांत महासागर का भाग है , को ही दक्षिण चीन सागर कहते हैं । चीन से लगे दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों और उनके द्वीपों को लेकर भी चीन और वियतनाम , इंडोनेशिया , मलेशिया, ब्रूनेई दारुसल्लाम, फिलीपींस , ताइवान , स्कार्बोराफ रीफ आदि क्षेत्रों को लेकर विवाद है । लेकिन मूल विवाद की जड़ है दक्षिण चीन सागर में स्थित स्पार्टले और परासेल द्वीप ।
चीन को दक्षिण चीन सागर में अपने भू आर्थिक और भू सामरिक हित दिखाई देते हैं । दक्षिण चीन सागर में 11 बिलियन बैरेल प्राकृतिक तेल के भंडार है, 190 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस के भंडार है , जिसके 280 ट्रिलियन क्यूबिक फीट होने की संभावना व्यक्त की गई है । यह क्षेत्र ऐसा हैं जहां से हर वर्ष 5 ट्रिलियन डॉलर मूल्य का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संभव होता है। यहां स्थित महत्वपूर्ण समुद्री व्यापारिक मार्गों के जरिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सुगमता होती है । यह क्षेत्र अपार मत्स्य संसाधन वाला क्षेत्र है । इसलिए चीन इस प्रकार के क्षेत्रों में रुचि रखता है । चीन ने दक्षिण चीन सागर के द्वीपों में कई प्रकार के अवैध कार्य किए हैं । अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए चीन ने यहां कृत्रिम द्वीप बनाए हैं , संसाधन अन्वेषण के लिए सर्वे भी किए हैं ।