चीन का हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण खतरनाक, अमेरिकी जनरल ने स्पुतनिक क्षण बताया

अंततः अमेरिका ने भी स्वीकार कर लिया है कि चीन की ओर से हाल ही में किया गया सुपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण रूस के उपग्रह स्पुतनिक लांच जैसा ही है. इससे दुनिया के पहले उपग्रह के बाद उपजी अंतरिक्ष होड़ की तर्ज पर दुनिया में अब सुपरसोनिक मिसाइल की दौड़ शुरू होगी. इसके साथ ही अमेरिका के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ मार्क मिले ने यह भी माना है कि चीन के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम सुपरसोनिक मिसाइल का बचाव करना काफी मुश्किल भरा साबित होने वाला है. गौरतलब है कि रूस ने 1975 में स्पुतनिक उपग्रह लांच किया था, जिसके बाद अमेरिका रूस में अंतरिक्ष में वर्चस्व स्थापित करने की अंधी दौड़ शुरू हो गई थी.
पेंटागन के शीर्ष जनरल ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन मार्क मिले ने पहली बार चीनी परमाणु-सक्षम मिसाइल के परीक्षण की पुष्टि करते हुए कहा कि इसका बचाव करना बहुत मुश्किल होगा. मिले ने ब्लूमबर्ग टीवी को बताया, ‘हमने जो देखा वह एक हाइपरसोनिक हथियार प्रणाली के परीक्षण की बहुत महत्वपूर्ण घटना थी यह बहुत ही चिंताजनक है’. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि यह बिलकुल स्पुतनिक जैसा क्षण है, लेकिन मुझे लगता है कि यह उसके बहुत करीब है. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण तकनीकी घटना है इस पर हमारा पूरा ध्यान है.’ चीन का यह परीक्षण उसके द्वारा पहले प्रदर्शित डीएफ-17 से कहीं उन्नत है. यह न सिर्फ लंबी दूरी तक मार कर सकती है, बल्कि अंतरिक्ष में भेजे जाने के बाद पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर अपने लक्ष्य को निशाना बनाती है.
अमेरिका के रक्षा विभाग ने पहले परीक्षण की पुष्टि करने से इनकार कर दिया था, जिसे 16 अक्टूबर को पहली बार फाइनेंशियल टाइम्स ने रिपोर्ट किया था. अखबार ने कहा था कि अगस्त परीक्षण लॉन्च ने वाशिंगटन को आश्चर्यचकित कर दिया है. फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार मिसाइल ने कम ऊंचाई ध्वनि की गति से पांच गुना से अधिक की गति से पृथ्वी की परिक्रमा की. हालांकि यह 30 किलोमीटर से अधिक के लक्ष्य से चूक गई. चीन ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा कि यह एक अंतरिक्ष यान का नियमित परीक्षण था. इधर पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने एक बार फिर से चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण की पुष्टि नहीं की है.
गौरतलब है कि अमेरिका, रूस, चीन उत्तर कोरिया ने हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण किया है इस दिशा में कई अन्य तकनीक विकसित कर रहे हैं. चीन ने 2019 में एक हाइपरसोनिक मध्यम दूरी की मिसाइल डीएफ-17 को दुनिया के सामने रखा था, जो करीब 2,000 किलोमीटर की दूरी तय करने के साथ परमाणु हथियार भी ले जाने में सक्षम है. इन देशों के अलावा बीते दिनों ऐसी खबरें भी आई थीं कि भारत भी रूस के सहयोग से ब्रह्मोस को हाइपरसोनिक मिसाइल में तब्दील कर रहा है, जो कई मायने में चीन की हाइपरसोनिक मिसाइल की काट होगी.