अन्तर्राष्ट्रीय

अपनी आक्रमकता को लगातार बढ़ा रही है चीनी सेना-US सैन्य जनरल की चेतावनी

वॉशिंगटन : अमेरिका और चीन के बीच दुश्मनी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। दोनों देश अंतरिक्ष से लेकर सागर तक आपस में भिड़े हुए हैं। इस बीच अमेरिका के सबसे बड़े सैन्य अधिकारी जनरल मार्क मिले ने चेतावनी देते हुए कहा है कि चीनी सेना पिछले पांच वर्षों में काफी अधिक आक्रामक और खतरनाक हो गई है। जनरल मार्क मिले अमेरिका के चेयरमैन ऑफ ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टॉफ हैं। वर्तमान में वे इंडो-पैसिफिक की यात्रा पर हैं। उन्होंने इंडोनेशिया में अपने कार्यक्रम के दौरान बताया कि प्रशांत महासागर के क्षेत्र में चीनी विमानों और जहाजों की अमेरिका और उनके अन्य सहयोगी बलों के साथ इंटरसेप्ट की संख्या काफी बढ़ गई है।

जनरल मार्क मिले ने कहा कि संदेश यह है कि चीनी सेना, हवा और समुद्र में, इस विशेष क्षेत्र में काफी अधिक और अधिक आक्रामक हो गई है। चीनी जहाज और युद्धपोत अमेरिकी जहाजों के काफी पास तक आकर असुरक्षित माहौल पैदा कर रहे हैं। मिले ने हाल में ही अपने स्टॉफ से चीनी और अमेरिकी नौसेना के बीच आमने-सामने की घटनाओं के विवरणों को इकट्ठा करने के लए कहा है। इससे चीनी नौसेना की आक्रामकता और हाल के घटनाओं के पीछे के पैटर्न का पता लगाने की कोशिश की जाएगी। अमेरिका ने कई मौकों पर दावा किया है कि दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर में उनके युद्धपोतों का सामना चीन के जहाजों से हुआ है।

अमेरिका के शीर्ष जनरल का यह बयान इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो के दो दिवसीय चीन दौरे से ठीक पहले आया है। जोको विडोडो का बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात का भी कार्यक्रम है। दो साल में यह पहली बार होगा कि फरवरी के शीतकालीन ओलंपिक के अलावा चीन व्यक्तिगत रूप से किसी विदेशी नेता का स्वागत करेगा। इंडोनेशिया भी दक्षिण चीन सागर से सटा हुआ है। इतना ही नहीं, हिंद महासागर में प्रवेश का रास्ता भी इंडोनेशिया से ही होकर गुजरता है। ऐसे में चीन अपनी पूरी ताकत इंडोनेशिया को अपने पक्ष में करने पर लगा रहा है।

उधर, इंडो पैसिफिक की यात्रा पर निकले चेयरमैन ऑफ ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टॉफ जनरल मार्क मिले ने इंडोनेशियाई रक्षा प्रमुखों के साथ बैठक की। इसके बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें चीन अपने स्वयं के उद्देश्यों के लिए पहुंच बनाने की कोशिश कर रहा है। यह चिंता का विषय है क्योंकि चीन इसे केवल सौम्य कारणों से नहीं कर रहा है। वे पूरे क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। और जरूरी नहीं है कि इसके संभावित परिणाम इस क्षेत्र में हमारे सहयोगियों और भागीदारों के अनुकूल हों।

मिले चीन के करीब में स्थित देशों के साथ एक मजबूत नेटवर्क बनाने और रिश्तों को सुधारने के लिए पूर्वी एशियाई देशों की यात्रा कर रहे हैं। बाइडेन प्रशासन भी चीन की आक्रमकता रोकने के लिए इंडो-पैसिफिक देशों के साथ अपने सैन्य और सुरक्षा संबंधों का विस्तार करने के लिए कदम उठा रहा है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। इतना ही नहीं, वह कृत्रिम द्वीप बनाकर उसे हथियारों से लैस भी कर रहा है। ऐसे में दक्षिण चीन सागर के किनारे स्थित देशों में डर का माहौल है।

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