पुलिस कांस्टेबल के बेटे हैं चिरंजीवी, नहीं बनना चाहते थे सुपरस्टार, ऐसे मिली थी पहली फिल्म
मुंबई: साउथ सिनेमा के सुपरस्टार चिरंजीवी ने करीब 150 तेलुगू फिल्मों में काम किया है. 67 साल के एक्टर ने तमिल, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में भी काम किया है. चिरंजीवी ना सिर्फ सफल एक्टर हैं बल्कि फिल्म निर्माता और राजनेता भी हैं. करोड़ों की संपत्ति के मालिक एक्टर ने जिंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं . एक पुलिस कांस्टेबल के घर पैदा हुए चिरंजीवी सरकारी नौकरी नहीं करना चाहते थे बल्कि संगीत, नृत्य में दिलचस्पी थी. एक्टिंग स्कूल में पढ़ाई पूरी करने से पहले ही लक बाय चांस फिल्म में काम करने का मौका मिल गया था.
चिरंजीवी ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में अपनी लाइफ के बारे में बताते हुए बताया था कि समय के साथ सफलता-असफलता मिलने पर भावनाओं पर कंट्रोल करना सीख गए. एक्टर का मानना है कि एक मुकाम हासिल करने के बाद अपनी ख्वाहिशों से अधिक दूसरों की इच्छाएं मायने रखती हैं.
चिरंजीवी ने बताया था ‘मेरे पिताजी सरकारी मुलाजिम थे. उन्होंने नौकरी की शुरुआत पुलिस कांस्टेबल के रूप में की लेकिन रिटायर वह असिस्टेंट एक्साइज सुपरिटेंडेंट के पद से हुए. पर मुझे सरकारी नौकरी नहीं करनी थी. शुरू से यही चाहता था कि सभी का ध्यान मुझ पर रहे. मुझे सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन बनना अच्छा लगता था. संगीत-डांस पसंद था, घर वालों के सामने और स्कूल में परफॉर्म करता था. जब तारीफ मिलती तो बहुत अच्छा लगता था. 70 के दशक में मैंने फिल्मी दुनिया में आने का फैसला किया’.
एक्टर ने बताया ‘जब एक दो नाटकों में मुझे बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला तो मैंने ट्रेनिंग लेने का फैसला किया और मद्रास आकर एक्टिंग सीखी. 1978 में जब मेरा कोर्स खत्म होने वाला था तो मैं एक फिल्म में काम कर रहा था. दरअसल, फिल्म में रोल का ऑफर मेरे दोस्त सुधाकर को मिला था लेकिन वह एक कॉन्ट्रैक्ट में फंसा था, फिल्म नहीं कर सकता था. फिर उसने मेरा नाम प्रपोज कर दिया और मैंने फिल्म कर ली. प्रोड्यूसर क्रांति कुमार ने वह फिल्म देखी और मुझे अपनी अगली फिल्म के लिए साइन कर लिया. यह फिल्म 22 सितंबर 1978 को रिलीज हुई और इसके ठीक 10 साल बाद मेरी 100वीं फिल्म ‘त्रिनेत्रुडू’ रिलीज हुई’.
चिंरजीवी के मुताबिक, ‘शुरुआती दौर में फिल्मों की सफलता और असफलता से खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता था. मुझे यह समझने में 20 साल लग गए कि मैं किसी के लिए जवाबदेह नहीं हूं. ऐसे समझने में अच्छा-खासा वक्त लग गया. 1990 में मेरी फिल्म ‘प्रतिबंध’ और ‘सिम्हम’ सुपरहिट हुई थी. मेरे दोस्त देखने आए थे मैं किस तरह सफलता का जश्न मनाता हूं. उन्हें ये देखकर बड़ी हैरानी हुई कि मैं लुंगी पहनकर एक किताब पढ़ने में बिजी था’.
चिरंजीवी के मुताबिक ‘मैं हर सफलता को इसी तरह लेता हूं. प्रोफेशनल जिंदगी में भी भावनाओं पर नियंत्रण जरूरी है. मुझे सफलता और असफलता से फर्क नहीं पड़ता. मैं कभी सुपरस्टार नहीं बनना चाहता था, केवल मुझे तारीफ पसंद थी. वक्त ने मुझे सिखाया की तारीफ चंद पलों के लिए अच्छी है, इससे एनर्जी ले और काम में जुट जाए’.