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ड्रोन तकनीक का उपयोग बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ करें : मुख्यमंत्री चौहान

भोपाल: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में ड्रोन तकनीक का उपयोग प्रारंभ हुआ है, जो अनेक क्षेत्रों में उपयोगी है। इसके व्यवस्थित प्रशिक्षण के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद कार्यक्रम तैयार करें। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेस्ट प्रेक्टिसेज अपनाई जायें। सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग को बढ़ावा देते हुए प्रशासन में जवाबदेही के लिए आईटी निवेश नीति 2022 के ठोस क्रियान्वयन पर फोकस किया जाए। सिंगल सिटीजन डाटाबेस में विभागों की हितग्राहीमूलक योजनाओं को एकीकृत करने के कार्य पूर्ण किए जाएँ, जिससे अधिकाधिक लोगों को इसका लाभ मिल सके। नेटवर्क विहीन ग्राम पंचायतों में नेटवर्क टॉवर लगाने के लिए संचालित कार्य शीघ्र पूर्ण हों। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश में लोक सेवाओं के आवश्यक दस्तावेजों का डिजिटल सत्यापन, इन्टेलिजेंट चेट बोट के माध्यम से सेवा प्रदाय के लिए निर्णय लेने की प्रणाली विकसित करने और नवीन प्रौद्योगिकी जैसे ड्रोन/ मशीन लर्निंग, ब्लाक चैन/ क्लाउड चैन के यूज केसेस विकसित करने के कार्यों में भी शत-प्रतिशत उपलब्धि अर्जित की जाए।

मुख्यमंत्री चौहान आज मंत्रालय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रस्तावित आईटी निवेश नीति 2022 के क्रियान्वयन के लिए तेजी से आगे बढ़ना है। इसमें ड्रोन नीति का प्रावधान है। साथ ही सिंगल विंडो सिस्टम और स्टार्ट अप को प्रोत्साहन भी शामिल है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हाल ही में वाराणसी कॉन्क्लेव में ड्रोन तकनीक के अधिकाधिक उपयोग पर चर्चा हुई है। कृषि के साथ ही आंतरिक सुरक्षा, राजस्व कार्यों आदि में ड्रोन तकनीक बेहद उपयोगी सिद्ध हो रही है। यह रोजगार का महत्वपूर्ण माध्यम भी है। मध्यप्रदेश में मेपकास्ट को ड्रोन प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करने के प्रयास हों।

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकास्ट) ने विज्ञान केन्द्र की स्थापना सहित साइंस सिटी, तारामंडल, विज्ञान संग्रहालय, विज्ञान नवाचार केन्द्र, अंतरिक विज्ञान अनुसंधान केन्द्र और विश्वविद्यालय प्रकोष्ठ के माध्यम से वैज्ञानिक कार्यक्रम संचालित किए हैं। विज्ञान पार्क की स्थापना भी की गई है। कोरोना काल में भारत सरकार के अनुसंधान संस्थान सीएसआईआर- केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रूड़की द्वारा विकसित तकनीक मेकशिफ्ट बिल्डिंग पर आधारित फीवर क्लीनिक का निर्माण किया गया। यह फीवर क्लीनिक भोपाल के जय प्रकाश चिकित्सालय तुलसीनगर परिसर में कार्यरत है। इसी तरह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिकल लिमिटेड बैंगलोर ने नवीन तकनीक के सात स्वच्छ वायु वेंटीलेटर भोपाल सहित विदिशा, सीहोर और नीमच के जिला चिकित्सालयों के लिए प्रदाय किए हैं। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के अंतर्गत उद्यमियों और नवाचारियों को उन्नत तकनीक की जानकारी देने के लिए वेबिनार श्रृंखला आयोजित की गई। विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, नवाचार, अनुसंधान और उद्यम को प्रोत्साहन देने के लिए विज्ञान मंथन यात्रा निकाली गई। उज्जैन में उप क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र स्थापित किया जा रहा है। अमृत आधारित विकास योजना में प्रदेश के 50 हजार आबादी वाले 26 नगरों में कार्य किए जा रहे हैं।

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